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72वां थल सेना दिवस 2020, महिला अधिकारियों की बढ़ती सहभागिता

भारतीय सीमाओं की सुरक्षा हेतु तथा अपने प्राणों की आहूति देने वाले वीर जवानों-सपूतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन “15 जनवरी” अर्थात् ‘सेना दिवस’ है। इसी दिन जवानों के दस्ते और भिन्न-भिन्न रेजीमेंटों की परेड भी होती है और झांकियां भी निकाली जाती है। 72वां थल सेना दिवस के अवसर पर आज ‘आर्मी डे परेड’ की कमान पहली बार महिला अफसर को सौंपी गई। भारतीय सेना की कैप्टन “तानिया शेरगिल” ने दिल्ली कैंट के करियप्पा परेड ग्राउंड पर सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व किया। गौरतलब है कि, कैप्टन तानिया शेरगिल 26 जनवरी 2020 को राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड का भी नेतृत्व करने वाली हैं। तानिया के पिता, दादा और परदादा भी सेना में शामिल रहे हैं।

हालाँकि, वर्ष 2019 में भी महिला अफसर कैप्टन भावना कस्तूरी ने गणतंत्र दिवस की परेड का नेतृत्व की थीं। 72वां थल सेना दिवस के मौके पर सीडीएस बिपिन रावत, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी। प्रमुख रूप से, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने सेना दिवस के अवसर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर से “अनुच्छेद 370” हटाना एक ऐतिहासिक कदम है। यह केंद्र शासित प्रदेश को मुख्य धारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण साबित होगा। हमारी सेना भविष्य की चुनौतियों से निपटने में भी सक्षम है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि, “सेना दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के सभी फौजी भाई-बहनों, युद्धवीरों और उनके परिवारों को बधाई। आप हमारे राष्ट्र के गौरव हैं और हमारी आजादी के रखवाले। आपकी सर्वोच्च त्याग भावना ने हमारी संप्रभुता की रक्षा की है, देश का गौरव बढ़ाया है और लोगों की सुरक्षा की है।” वंही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी और बोले, “भारत की सेना मां भारती की आन-बान और शान है। सेना दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी सैनिकों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम को सलाम करता हूं”।

वर्तमान में, भारतीय सेना विश्व में “सबसे ऊंचाई” पर स्थित सीमा की रक्षा करने वाली पहली सेना है। महत्वपूर्ण रूप से, हमारी सेना को विश्व की सबसे बड़ी “वॉलंटियर मिलिट्री” का दर्जा भी हांसिल है। इनके नाम विश्व की सबसे ऊंची जगह पर पुल (ब्रिज) बनाने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। जिसे “बेली ब्रिज” के नाम से जाना जाता है, जो हिमालय की चोटी पर 18 हजार 379 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है और 98 फीट लंबा ये ब्रिज द्रास और सुरू नदी के बीच बनाया गया है। इसके अलावे, भारतीय सेना का “हाई आल्टीटयूट वारफेयर स्कूल” (HAWS) दुनिया का सबसे बेहतरीन आर्मी ट्रेनिंग सेंटर भी माना जाता है।

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वर्ष 2020 तक 100, K-9 वज्र आर्टीलरी तोप भारतीय सेना के पास होंगी। कुल 4,366 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के तहत सेना को 10 तैयार तोपें मिली। शेष 90 का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत किया जा रहा है, जिसमें लगभग 40 तोपें भारतीय सेना को मिल गयी है और शेष तोपें नवंबर 2020 तक सेना को मिलने की संभावना है। दिन प्रतिदिन भारतीय सेना की शक्ति में इजाफ़ा होता जा रहा है जिससे आने वाले दिनों में भारत एक महाशक्ति के रूप में विश्व पटल पर सामने आ सकती है।

आज दिल्ली में भव्य परेड का आयोजन किया गया, जिसकी सलामी पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने ली। इस अवसर पर शौर्य और बहादुरी का प्रदर्शन करने वाले जवानों को मेडल से नवाजा गया और थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने परेड का निरीक्षण भी किया। इस प्रकार, भारतीय सेना हमेशा से मजबूत, सक्षम और एक सशक्त देश का बल रही है जिसने प्रभावी रूप से देश के राष्ट्र-हित की रक्षा की है। अतः आज का यह दिन मुख्य रूप से देश की एकता व अखंडता के प्रति संकल्प लेने का प्रमुख दिन है।

भारतीय सेना के जवान एक ओर तो व्यापक स्तर पर होने वाले युद्धों में शामिल होती है, तो वहीं दूसरी ओर “मानवीय सहायता” और “आपदा” जैसी आपातकालीन चुनौतियों से निपटने में भी अग्रणी भूमिका निभाती है। इसके अलावे, आर्मी के बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश, हजारों ‘आर्मी टैंक्स’ और ‘एयरक्राफ्ट’ के साथ-साथ शक्तिशाली न्यूक्लियर हथियार और मिसाइल्स भी शामिल है जो देश के समक्ष आने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिये तैयार और प्रतिबद्ध है। इसके साथ – साथ राफेल, चिनूक और अपाचे आदि भी अपना दम दिखाएंगे गणतंत्र दिवस 2020 की परेड में। आज हर भारतीय इस बात पर गर्व करता है कि भारतीय सेना शक्तिशाली, आधुनिक, सर्वश्रेष्ठ एवं उच्च मनोबल के साथ सदैव तैयार है। हमारा देश के प्रति दायित्व हमारे प्रेरणा का अजस्र स्रोत है।।

ऐतिहासिक संदर्भ में, फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में प्रत्येक वर्ष आज के दिन सेना दिवस मनाया जाता है। बता दें कि ‘केएम करियप्पा’ भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ थे, जिन्होंने 15 जनवरी 1949 में सर फ्रैंसिस बुचर से प्रभार लिया था। इन्होंने ‘जय हिंद’ को भारतीय सेना में परस्पर अभिवादन के लिए अपनाया। सेना दिवस के अवसर पर पूरा देश थल सेना की वीरता, अदम्य साहस, शौर्य और उसकी कुर्बानी को याद करता है।

लेखक: सौरभ कुमार सिंह, भारतीय आर्मी। आलेख में लेखक ने निजी विचार व्यक्त किये हैं।

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