कोरोना काल में बदहाल हुए उद्योग धंधों के दोबारा पटरी पर लौटने की आस जगी है क्योंकि कारोबारियों को लगता है कि सरकार द्वारा घोषित भारी-भरकम राहत पैकेज से नकदी का संकट दूर होगा और मांग व आपूर्ति दोनों सुधरेगी।
खासतौर से कपड़ा उद्योग का फायदा होगा क्योंकि नई परिभाषा के बाद इस उद्योग के 70 फीसदी से अधिक कारखाने एमएसएमई के अंतर्गत आ जाएंगे।
सरकार ने देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम यानी एमएसएमई की मदद के लिए तीन लाख करोड़ रुपये का कोलेटरल फ्री ऑटोमेटिक लोन मुहैया करवाने का एलान किया है और माना जाता है कि इसका फायदा देश के तकरीबन 45 लाख छोटे करोबारी उठा सकते हैं।
कान्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्टरी (एसआईटीआई) के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन कहते हैं कि इससे निश्चित तौर पर बाजार में तरलता आएगी तो भुगतान की स्थिति सुधरेगी और मांग सुधरेगी।
जैन ने आईएएनएस से कहा कि मंदी या तेजी की स्थिति में मांग या आपूर्ति किसी एक पर असर पड़ता है मगर मौजूदा संकट काल में दोनों प्रभावित हैं, लिहाजा नकदी आने से दोनों में सुधार होगा, बशर्ते बैंक एमएसएमई सेक्टर को बगैर किसी परेशानी के कर्ज मुहैया करवाएं।
एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ पैकेज से कपड़ा उद्योग को होने वाले फायदे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एमएसएमई की नई परिभाषा के बाद अब कपड़ा उद्योग के 70 फीसदी से ज्यादा युनिट यानी कारखाने इसके अंतर्गत आ जाएंगे तो निस्संदेह कपड़ा उद्योग को इससे फायदा होगा।
एसआईटीआई के वर्तमान अध्यक्ष टी. राजकुमार ने भी कहा कि नई परिभाषा के बाद करीब 70 फीसदी गार्मेंट युनिटस एमएसएमई के तहत आ गए हैं और इस तीन लाख करोड़ रुपये के कोलेटरल फ्री ऑटोमेटिक लोन से उनको मदद मिलेगी और यह उनके कारोबार के लिए लाभकारी साबित होगा।
राजकुमार ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि इस पैकेज से एमएसएमई के तहत आने वाले पावरलूम, हैंडलूम, निटिंग, स्पिनिंग, जिनिंग समेत गार्मेंट एवं एपैरल मैन्युफैक्च रिंग युनिटस को लाभ मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि कपड़ा उद्योग की सेहत सुधारने के लिए मध्यम व बड़े आकार की कंपनियों को भी मदद की दरकार है क्योंकि मौजूदा दौर में संकट में सभी हैं।
एसआईटीआई अध्यक्ष के मुताबिक एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव से उद्योग के कुछ वर्ग को निस्संदेह फायदा होगा, लेकिन निवेश व सालाना कारोबार बढ़ाने के परिवर्तित मानक से एमएसएमई सेक्टर में टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन को बहुत प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा, स्पिनिंग, इडिपेंटेंड वीविंग, प्रोसेसिंग जैसे कैपिटल इंटेंसिव सेक्टर को भी बहुत लाभ नहीं होगा जबकि मौजूदा संकट काल में उनको सरकार की ज्यादा मदद की जरूरत है।
राजकुमार ने कहा कि उम्मीद करते हैं कि कॉटन यार्न और फेब्रिक समेत समस्त टेक्सटाइल और क्लोथिंग उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार जल्द ही कोई विशेष पैकेज लेकर आएगी ताकि आने वाले दिनों में उभरकर सामने आने वाले अवसरों का फायदा उठाया जा सके और देश में बचे कॉटन के आधिक्य भंडार की खपत हो क्योंकि इससे कॉटन उत्पादक किसानों पर गहरा असर हो सकता है।
एमएसएमई सेक्टर की सेहत सुधारने के लिए सरकार द्वारा दिए गए राहत पैकेज से गार्मेंट मैन्युफैचर्स काफी उत्साहित हैं, लेकिन बैंक से सुगमता से कर्ज मिलने को लेकर उनके मन में संदेह बना हुआ है। एशिया के सबसे बड़े रेडीमेड गार्मेट थोक बाजार देश की राजधानी स्थित गांधीनगर के कारोबारी हरीश कुमार कहते हैं कि सरकार की इस घोषणा से कारोबार पटरी पर लौटने की आस जगी है, लेकिन यह सब तब होगा जब बैंकों से आसानी से कर्ज मिल पाएगा।
कारोबारियों की आशंकाओं व समस्याओं का निवारण के लिए एसआईटीआई के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन कहते हैं कि सरकार को इसके लिए एक शिकायत सेल बनानी चाहिए, ताकि कारोबारियों को होने वाली समस्याओं की वे शिकायत कर सकें और उनका तत्काल निवारण हो।
एमएसएमई की नई परिभाषा के बाद सूक्ष्म यानी माइक्रो उदयोग के तहत एक करोड़ रुपये का निवेश कर पांच करोड़ रुपये से कम कारोबार करने वाली कंपनियां आएंगी, जबकि लघु उदयोग में 10 करोड़ रुपये तक के निवेश से 50 करोड़ रुपये तक का सालाना करोबार करने वाली कंपनियां और मध्यम की केटेगरी में 20 करोड़ रुपये तक का निवेश व 100 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाली कंपनियां आएंगी।