नए चीन यानी चीन लोक गणराज्य की स्थापना अक्तूबर 1949 में हुई, उस वक्त चीन गरीबी सहित कई परेशानियों से ग्रस्त था, लेकिन नए चीन ने तेज गति से विकास को रफ्तार दी और धीरे-धीरे लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर होने लगा। विशेषकर 1980 के दशक से चीन ने हर क्षेत्र में सुधार किया है, बात चाहे स्वास्थ्य सुविधाओं की हो, शिक्षा के स्तर की या फिर मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्च र खड़ा करने की। चीन ने विश्व के अन्य देशों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
आंकड़ों के मुताबिक चीन पिछले आठ दशकों के दौरान लगभग 80 करोड़ लोगों को गरीबी के चंगुल से बाहर निकाला है। आप खुद अनुमान लगाइए कि अस्सी करोड़ की संख्या कितनी बड़ी है, जो कि ग्लोबल लेवल का 70 फीसदी है।
चीन पिछले कई वर्षो से लगातार देश से गरीबी को खत्म करने के मिशन में जुटा हुआ है। इसी क्रम में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अन्य बड़े नेता बार-बार सबसे गरीब इलाकों का दौरा कर वहां का जायजा लेते हैं। ताकि विकास की दौड़ में पीछे रह गए ग्रामीण क्षेत्रों को भी खुशहाल बनाया जाय। पिछले कुछ दिनों से चीनी राष्ट्रपति ने निंगश्या ह्वेई स्वायत्त प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में जाकर वहां गरीबी उन्मूलन को लेकर किए जा रहे कार्यों की जानकारी भी ली।
शी चिनफिंग ने इस दौरान कहा कि देश की कोई भी जाति या कोई भी इलाका पीछे नहीं छूटना चाहिए। उनके कहने का मकसद यही था कि चीन एक समृद्ध और खुशहाल राष्ट्र बने, जिसमें विभिन्न प्रांतों में रहने वाले सभी जातियों की पूरी भागीदारी हो।
जैसा कि हम जानते हैं कि चीन ने साल 2020 को गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य हासिल करने का वर्ष निर्धारित किया है। इसे देखते हुए हाल में बीजिंग में संपन्न हुए दो सत्रों यानी एनपीसी और सीपीपीसीसी में भी देश को समृद्ध बनाने और गरीबी के खात्मे पर जोर दिया गया। चीनी के तमाम प्रतिनिधियों ने गरीबी से प्रभावित क्षेत्रों को हरसंभव मदद देने और विकास के कार्य करने की बात कही, ताकि चीन के सभी नागरिकों को अच्छा जीवन बिताने का मौका मिल सके।
चीन ने जिस तरह से गरीबी को मिटाने के लिए काम किया है, उसकी सराहना की जानी चाहिए। अगर आने वाले समय में भी इसी तरह से प्रयास किए गए तो वह दिन दूर नहीं जब चीन की धरती से गरीबी पूरी तरह से खत्म हो जाय।