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एमएसएमई को लचीला रहना होगा, संकट को अवसर के रूप में देखें : वाधवानी फाउंडेशन

कोविड -19 महामारी ने एमएसएमई क्षेत्र पर गहरा प्रभाव डाला है और वाधवानी फाउंडेशन के प्रेसीडेंट व सीईओ डॉ. अजय केला के अनुसार, इससे उबरने के लिए इसकी कमजोरियों को दूर करना जैसे वित्तीय तनाव, कम मांग, बिकरी हुई कार्यबल और एक मंदी से जूझ रहे निर्यात बाजार जैसी समस्याओं को दूर करना जरूरी है। समय की आवश्यकता है कि इस मुश्किल समय में सर्वाइव करने और आगे बढ़ने के लिए लचीला और अनुकूल रुख बनाए रखना है।

डॉ. केला ने अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस पर आईएएनएस को बताया, “इसमें कोई संदेह नहीं कि एमएसएमई क्षेत्र के लिए कोविड-19 काफ बेरहम रहा है लेकिन महामारी का सदुपयोग करने के लिए, इस क्षेत्र को अब उस तरीके से व्यापक बदलाव लाने की दिशा में काम करना चाहिए, जिस तरीके से यह काम करना है।”

ऑल इंडिया मैन्युफैक्चर्स ऑर्गेनाइजेशन के एक ताजा सर्वे के मुताबिक, 35 फीसदी एमएसएमई और 37 फीसदी अपने खुद का व्यवसाय करने वाले लोगों ने अपनी दुकानों को बंद करना शुरू कर दिया है क्योंकि उन्हें रिकवरी का कोई मौका नहीं नजर आ रहा है।

कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, अगले कुछ महीने अधिकांश छोटे व्यवसायों के लिए गंभीर रूप से चुनौतीपूर्ण होने जा रहे हैं।

एसएमई को अपनी प्राथमिकताओं को फिर से व्यवस्थित करने और तीन चरणों के अनुसार फोकस करने की आवश्यकता है।

डॉ. केला ने कहा, “पहले चरण में नकदी बचाने के लिए सर्वाइव पर फोकस करने और हर तरीके का मूल्यांकन करने की जरूरत है क्योंकि यह दीर्घाकलिक स्वरूप में मदद करेगा। स्थिरीकरण के दूसरे चरण में उन्हें नए ग्राहकों की मुख्य जरूरतों को जानने और बदलाव और नवाचार के माध्यम से उन्हें पूरा करने की आवश्यकता होती है।”

तीसरे चरण में, एमएसएमई को इस संकट को एक अवसर के रूप में सदुपयोग करने की आवश्यकता है, और जैसा कि अर्थव्यवस्था ठीक हो जाती है, “उन्हें नए व्यापार मॉडल और उत्पादों के साथ आगे बढ़ने के लिए सिस्टम और प्रक्रियाएं तैयार करनी चाहिए।”

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