केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि प्रवासी मजूदरों को प्रवासी मजदूरों की वापसी शुरू हो गई है और प्रवासी मजदूरों के लिए शुरू की गई मुफ्त अनाज वितरण योजना का लाभ जिनको नहीं मिला है वो अगस्त तक इसका लाभ ले सकते हैं।
कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के तहत दो महीने के लिए के लिए मुफ्त अनाज वितरण की योजना शुरू की गई थी, जिसमें प्रत्येक लाभार्थी को पांच किलो अनाज और एक किलो चना दिया जाता है। यह योजना पहले मई और जून के लिए थी, लेकिन अब तक इससे वंचित पात्र लाभार्थी अगस्त तक इस योजना के तहत दो महीने का अनाज ले सकते हैं। केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने मंत्रिमडल के इस फैसले की जानकारी दी।
इस मौके पर प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर पूछे गए एक सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, “वापस आने वाली सारी ट्रेनें भरी हुई हैं।” उन्होंने आगे कहा कि जो लोग यानी प्रवासी श्रमिक लौट रहे हैं वे या तो अपनी व्यवस्था पर वापस आ रहे हैं या कंपनी के मालिक द्वारा इसकी व्यवस्था की जा रही है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए शुरू की गई मुफ्त अनाज वितरण योजना के तहत उन प्रवासियों को पांच किलो अनाज (गेहूं या चावल) देने का प्रावधान है जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के लाभार्थी नहीं हैं और मुफ्त अनाज वितरण की किसी अन्य योजना के लाभार्थी नहीं हैं।
यह योजना शुरू मे मई और जून दो महीने के लिए थी, मगर इन दो महीनों के दौरान आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत आवंटित कुल अनाज का सिर्फ 13 फीसदी ही बंट पाया।
केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के संकट काल में प्रवासी गरीबों के लिए आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत मई और जून में वितरण के लिए 8,00,268 टन अनाज का आवंटन किया, लेकिन जून के आखिर तक सिर्फ 10,7032 टन अनाज बंट पाया। इस प्रकार कुल आवंटन का महज 13.37 फीसदी अनाज का ही वितरण हो पाया।