दुनिया की प्रमुख कंपनी हुआवेई पिछले कुछ समय से चर्चा में है। इस बीच ब्रिटेन ने हुआवेई के 5जी नेटवर्क पर बैन लगाने का फैसला किया है। बावजूद इसके हुआवेई की 5जी तकनीक विश्व के कई देशों में बहुत अच्छी चल रही है। दो सप्ताह पहले जर्मनी ने हुआवेई को 5जी सप्लायर के रूप में चुना, जो इस बात का सबूत है कि हुआवेई की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। वहीं इस दौरान बेल्जियम ने भी ऐलान किया है कि वह हुआवेई पर पाबंदी नहीं लगाएगा और सभी विक्रेताओं के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
ये उदाहरण यह बताने के लिए काफी हैं कि हुआवेई के 5जी के लिए वैश्विक बाजार में अवसरों की कमी नहीं है। चीन का उल्लेख करें तो वह अकेले ही कई देशों पर भारी पड़ता है, यानी कि चीन अपने आप में बहुत बड़ा बाजार है। क्योंकि यहां पूरे विश्व के आधे सप्लाई बेस स्टेशन स्थापित किए जाने हैं।
हुआवेई का कहना है कि उसके पास कई देशों में व्यापक अवसर मौजूद हैं। अगर ब्रिटेन में प्रतिबंध लगाया जा रहा है तो वह अन्य बाजारों की ओर रुख करेगा।
हाल में हुए विभिन्न शोधों के नतीजे बताते हैं कि अगर किसी देश ने हुआवेई को अपने बाजार से हटाने की कोशिश की तो उसका नतीजा यह हुआ कि बेसिक इंफ्रास्ट्रक्च र की लागत में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो गयी। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जब उन्हें अपने उत्पादों के लिए अधिक कीमत अदा करनी होगी। हुआवेई जैसी कंपनी के बाजार में मौजूद रहने से कीमतों को लेकर प्रतिस्पर्धा कायम रहती है। इसके अलावा इनोवेशन को लेकर भी कम्पटिशन बना रहता है।
यहां बता दें कि मोबाइल संचार मार्केट में इस बात की चुनौती बनी हुई है कि आज के दौर में मोबाइल नेटवर्क निर्माता कंपनियों की संख्या बहुत कम है। उदाहरण के लिए अमेरिका में ऐसी कोई कंपनी मौजूद ही नहीं है।
ऐसे में कहा जा सकता है कि हुआवेई को मार्केट से हटाने से लागत और नवाचार आदि के क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पर बुरा असर पड़ेगा। वहीं जिन देशों के पास हुआवेई का 5जी नेटवर्क उपलब्ध नहीं है, वे इसके महत्व को जरूर समझ रहे हैं।