पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत व चीन के आमने-सामने होने के एक महीने बाद रूस ने गुरुवार को कहा कि वह ब्रिक्स में भारत के सहयोग से संतुष्ट है। इस बहुपक्षीय मंच में चीन भी शामिल है। भारत में रूस के राजदूत निकोले आर कुदाशेव ने ‘रशिया -इंडिया रिलेशन्स एंड पेंडेमिक टेस्ट आफ ग्लोबल गवर्नेंस’ विषय पर एक वेबिनार में कहा, “हम द्विपक्षीय प्रारूप के साथ ही ब्रिक्स के फ्रेमवर्क में भारत के साथ सहयोग से, विशेष रूप से 2020 में रूसी अध्यक्षता के काल में, बहुत संतुष्ट हैं।”
उन्होंने कहा कि कोविड-19 खतरा एक आम चुनौती के खिलाफ प्रयासों को एकजुट करने का अवसर भी देता है।
कुदाशेव ने कहा, “यही कारण है कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) की प्रासंगिकता बढ़ रही है। यह वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर बातचीत के साथ पांच देशों के बीच व्यावहारिक भागीदारी के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहा है।”
राजदूत ने कहा कि रूस किसी भी एकतरफा भूराजनैतिक रूप से प्रेरित कार्यों और अवैध एक्सट्राटेरिटोरियल प्रतिबंधों के खिलाफ है जो अस्थिरता, अविश्वास और अप्रत्याशितता पैदा करते हैं। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि वह किसके संदर्भ में यह बात कह रहे हैं।
कुदाशेव ने कहा कि अगले साल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक गैर स्थायी सदस्य के रूप में भारत से यह उम्मीदें और बढ़ रही हैं कि वह वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे पर ब्रिक्स के भीतर अपने समन्वय को और बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि इन कार्यों की ओर बढ़ने से हम सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स के आगामी शिखर सम्मेलन में ठोस उपलब्धियों और योजनाओं के साथ जा सकेंगे जो 2021 में समूह में भारतीय अध्यक्षता के लिए आधार तैयार करेगा।”
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में रूस और भारत एक साथ न्यायपूर्ण और बहुध्रुवीय दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि साथ ही यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि दुनिया का भविष्य अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के स्पष्ट सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।