दिल्ली के चावड़ी बाजार, सदर बाजार और फराश खाने जैसे इलाकों में बर्तनों की कई प्रसिद्ध व पुरानी दुकानें हैं। यहां मौजूद कई दुकानें तो 70 से 100 वर्ष पुरानी है। इनमें भी कई दुकानें तांबे के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध हैं। तांबे के बर्तन, सजावटी सामान एवं आभूषणों के लिए प्रसिद्ध इन दुकानदारों को इन दिनों संकट का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना संकट का इन दुकानदारों और उनके व्यवसाय पर काफी प्रभाव पड़ा है।
चावड़ी बाजार में पिछले 70 वर्षों से तांबे के बर्तन व तांबे की सजावटी वस्तुओं के कारोबार की एक प्रसिद्ध दुकान के मालिक दौलत जैन ने कहा, “हमारी दुकान पर दिल्ली और दिल्ली के बाहर से हर दिन दर्जनों ग्राहक आते थे। अब हालत यह है कि पिछले करीब 50 दिन में हमारी दुकान पर कुल मिलाकर 50 ग्राहक भी नहीं आए हैं। हमारा माल दिल्ली के बाहर और विदेशों में भी सप्लाई होता है। हालांकि अभी बाहर से भी कोई खास आर्डर नहीं आ रहे हैं।”
फराशखाना इलाके में तांबे और एलुमिनियम के बर्तनों के होलसेल विक्रेता वसीम अफरीदी ने कहा, “इलाके में धीरे-धीरे अब सभी दुकानें खुल चुकी हैं। यहां इन दुकानों पर ग्राहक भी खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। बेशक बाजार में पहली सी भीड़ नहीं है। लोग केवल अपनी जरूरत के हिसाब से ही बर्तन खरीद रहे हैं। तांबे की वस्तुएं थोड़ी महंगी होने के कारण अभी इसकी बिक्री नहीं उठी है।”
सदर बाजार में पिछली कई पीढ़ियों से तांबे की वस्तुओं का व्यवसाय कर रहे अनिल मित्तल ने कहा स्टील और कांच की वस्तुएं चलन में आने के बावजूद तांबे का प्रचलन हमेशा बना रहा है। अब कोरोना महामारी के दौर में हमारे ग्राहक बेहद कम हो गए हैं। तांबे की सजावटी वस्तुएं तो बिल्कुल ही नहीं बिक रही हैं। घरेलू इस्तेमाल के कुछ एक सामान अब बिकने लगे हैं, लेकिन अभी भी दिल्ली के बाहर से आर्डर नहीं आ रहे हैं।
गौरतलब है कि तांबे के जग, छोटी बाल्टी और वाटर फिल्टर सबसे ज्यादा बिकने वाले उत्पादों में शामिल हैं। माना जाता है कि तांबे का बर्तन पानी को शुद्ध करता है और उसमें मौजूद अशुद्धियों को समाप्त कर देता है। इसी के कारण कई लोग रात भर तांबे के बर्तन में पानी रखकर सुबह उस उसे पीते हैं।