किसान बिलों का विरोध करते हुए मोदी सरकार से हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफे के बाद शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा को अब एक और झटका दिया है। पार्टी ने किसान बिलों के खिलाफ लड़ाई तेज करते हुए ्नराजग (एनडीए) और भाजपा से 22 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया है। शिरोमणि अकाली दल का यह फैसला इसलिए भी अहम है, क्योंकि साल 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं।
शनिवार को शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक होने के बाद अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा और एनडीए का साथ छोड़ने का फैसला किया है। इससे पहले, बीते 17 सितंबर को शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने तीनों बिलों के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (एनडीए) की स्थापना की थी। उस समय शुरुआती घटकों में प्रकाश सिंह बादल की पार्टी अकाली दल भी एनडीए का सहयोगी बना था। तब से लगातार अकाली दल भाजपा का सहयोगी रहा। ऐसे में अब जाकर 22 साल बाद अकाली दल ने भाजपा का दामन छोड़ दिया है।
बताया जा रहा है कि पंजाब में किसान काफी आक्रोशित हैं। शिरोमणि अकाली दल राज्य में एक बड़ा वोट बैंक माने जाने वाले किसानों को नाराज करने के मूड में कतई नहीं है। यही वजह है कि पार्टी ने पहले केंद्रीय मंत्री पद छोड़ा और अब एनडीए गठबंधन से भी अलग होने का फैसला कर लिया।