नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ज्ञानार्जन के अवसरों के लिए उच्च शिक्षा में अंर्तविषयी अध्ययन और एकीकृत पाठ्यक्रम पर जोर देती है। इसका उद्देश्य मूल्य-आधारितसमग्र शिक्षा प्रदान करना और वैज्ञानिक स्वभाव का विकास करना है। साथ ही भारत के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। यह बात गुरुवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कही। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अखंड कॉन्फ्रेंस ‘एडुकॉन 2020’ को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा, “21वीं सदी को पूरे विश्व में ज्ञान की सदी के रूप में जाना जाता है। अखण्ड अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का यह प्रयास सराहनीय है। निश्चित तौर पर यह सम्मलेन हमें इस बात का बोध कराता है कि किसी भी समस्या के निराकरण हेतु उच्च शिक्षा का विशेष महत्व है।”
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के लिए उपयुक्त और प्रासंगिक विषय चुनने के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब के कुलपति प्रोफेसर राघवेंद्र प्रसाद तिवारी को बधाई दी। उन्होंने कहा, “हमें अपने छात्रों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। यह नीति सभी प्रकार से क्रांतिकारी है, क्योंकि यह प्राथमिक स्तर पर मातृ-भाषा को बढ़ावा देने और माध्यमिक स्तर पर छात्रों के लिए व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने जैसे कई पहलुओं पर केंद्रित है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह नीति शिक्षण प्रक्रिया में तकनीकी के और अधिक उपयोग के लिए रूपरेखा तैयार करने, ऑनलाइन पाठ्यक्रम सामग्री के विकास, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरूआत और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना सरीखे नवीन सुधारों पर जोर देती है। यह वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में भारतीय विद्वानों को लाभान्वित करेगी।