6 जनवरी को अमेरिकी कांग्रेस की दो सदनों द्वारा संयुक्त बैठक कर आम चुनाव के परिणाम की पुष्टि करने वाला दिवस था। लेकिन उस दिन वाशिंग्टन में बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। अमेरिकी नेताओं के समर्थकों ने कांग्रेस भवन में घुसकर आम चुनाव का परिणाम बदलने की कोशिश की। अब तक इस घटना में चार लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए हैं। दिन दहाड़े अमेरिका में हुई ऐसी हिंसक कार्रवाई ने पूरे विश्व को चौंका दिया है। सब जानते हैं कि अमेरिकी राजनीतिज्ञ दूसरे देश में रंग क्रांति रचने में निपुण हैं, लेकिन इस बार अपनी भूमि पर ऐसा नाटक हुआ है।
जून 2019 में चीन के हांगकांग में दंगाइयों ने संसद भवन पर प्रहार किया। लेकिन उस समय अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने उसे सुंदर ²श्य बताया और दावा किया कि हांगकांग के प्रदर्शनकारी लोकतंत्र की सुरक्षा कर रहे हैं। लेकिन अब अपनी भूमि पर हिंसक काररवाई हुई, तो अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने फौरन ही इसे उपद्रव या राज्यपलट बताया और हिंसक तत्वों को कानूनी सजा देने का अनुरोध किया।
हांगकांग को छोड़कर इधर के कुछ साल अमेरिका ने लोकतंत्र का झंडा उठाकर उत्तर अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और आदि क्षेत्रों में रंग क्रांति उकसायी। आज ऐसे ²श्य अमेरिका में हुए, तो अमेरिकी पुलिस ने आंसू गैस व वाटर गन से प्रदर्शनकारियों को तितर बितर किया और कम से कम 13 लोगों को गिरफ्तार किया।
विश्व ने फिर एक बार अमेरिकी लोकतंत्र का दोहरा मापदंड देख लिया। वास्तव में अमेरिकी राजनीतिज्ञों की नजर में तथाकथित लोकतंत्र सिर्फ उपकरण है। अगर लोकतंत्र का परिणाम उनके हित में है, तो वे लोकतंत्र का प्रयोग करते हैं। अगर लोकतंत्र उनके हित में नहीं है, तो वे उसे छोड़ते हैं। किसी माइने में वे लोकतंत्र को पैरों तले रौंदने वाले हैं ।
अमेरिका में हुई हिंसक घटना से फिर साबित हुआ है कि अमेरिकी समाज का अभूतपूर्व विभाजन हुआ है। अमेरिकी राजनीतिज्ञों को जगने का समय आ गया है। उन को अमेरिकी लोकतंत्र को दूसरे पर थोपने के बजाये पहले अपने मामलों को बखूबी अंजाम देना चाहिए।