यूपीआई डिजिटल भुगतान में समानता लाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने किसी तीसरे पक्ष की ओर से चलाई जाने वाली यूपीआई भुगतान सेवा के लिए लेनदेन की सीमा कुल लेनदेन की संख्या की 30 प्रतिशत तय करने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह विविध अवसर प्रदान करने में मदद करेगा और यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र के बाजार प्रभुत्व को रोक देगा, क्योंकि यह आगे बढ़ रहा है।
एनपीसीआई का मानना है कि निश्चित रूप से यूपीआई वॉल्यूम में तेजी से वृद्धि होगी और यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र के सभी दिग्गजों के पास अपने वॉल्यूम को और अधिक बढ़ाने का अवसर होगा।
इसका प्रभावी रूप से मतलब यह है कि कोई भी भुगतान प्रदाता सभी यूपीआई लेनदेन के 30 प्रतिशत से अधिक की प्रक्रिया नहीं कर पाएगा। इससे भुगतान पद्धति में समानता आएगी और सभी को समान यूपीआई लेनदेन की मात्रा हासिल करने में मदद मिलेगी।
पिछले साल नवंबर में एनपीसीआई ने इस साल 1 जनवरी से एक व्यक्तिगत यूपीआई दिग्गजों के बाजार में हिस्सेदारी को 30 प्रतिशत तक सीमित करते हुए बाजार हिस्सेदारी नीति पेश की थी। यह जोखिम से निपटने और पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) की सुरक्षा के लिए किया गया था, क्योंकि फोनपे, गूगल पे सहित दिग्गज डिजिटल प्लेटफॉर्म ने प्रमुख बाजार हिस्सेदारी का दावा किया है, जिससे एकाधिकार का डर पैदा हो गया है।
आसान शब्दों में कहें तो यह फैसला भविष्य में किसी भी थर्ड पार्टी ऐप की मोनोपॉली रोकने और उसे साइज के हिसाब से मिलने वाले विशेष फायदे से रोकने के लिए किया है।
एनपीसीआई ने कहा कि भारत में खुदरा भुगतान के लिए गैर-लाभकारी अम्ब्रेल बॉडी द्वारा छह महीने तक की छूट ग्राहक-व्यवधान को रोकने के लिए मामला-दर-मामला आधार पर प्रदान की जा सकती है।
एनपीसीआई ने सभी टीपीएपी और पीएसपी को जारी एक परिपत्र में कहा, “इसमें उपयोग किया जाने वाला डिजाइन सिद्धांत उपयोगकर्ता के माध्यम से तृतीय पक्ष एप्लिकेशन प्रदाता के भुगतान प्लेटफॉर्म पर वॉल्यूम कैप को नियंत्रित करना है।”
एक तरफ जहां फोनपे और गूगल पे केवल यूपीआई आधारित ऐप हैं, वहीं फिनटेक दिग्गज कंपनी पेटीएम एकमात्र ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो पेटीएम वॉलेट, पेटीएम यूपीआई, कार्ड और नेट-बैंकिंग सहित सभी डिजिटल लेनदेन के तरीकों को सपोर्ट करता है।
कंपनी ने हाल ही में कहा है कि इसने 1.2 अरब मासिक लेनदेन की उपलब्धि हासिल की है। कंपनी का एक पेटीएम पेमेंट्स बैंक भी है, जो देश का अन्य सभी बैंकों के बीच यूपीआई भुगतान के लिए सबसे बड़ा लाभार्थी और शीर्ष रेमीटर बैंक में से एक बन गया है।
पेटीएम के प्रवक्ता ने कहा, “हम देश में अग्रणी भुगतान प्रदाता हैं, क्योंकि हम अपने यूजर्स को यूपीआई सहित सभी डिजिटल तरीकों से सक्षम करते हैं। एनपीसीआई का निर्णय यह सुनिश्चित करेगा कि यूपीआई भुगतान किसी भी दिग्गज पर निर्भर न हों। हमारा मानना है कार्यान्वयन दिशानिर्देश स्पष्ट और व्यावहारिक हैं।”