दुनिया धीरे-धीरे कोविड-19 महामारी से उबरने की राह पर है। इस बीच गुजरात स्थित अहमदाबाद विश्वविद्यालय को एक वैश्विक जलवायु शिक्षा पहल में भारत का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है, जो यह पता लगाने की कोशिश करता है कि इस वर्ष बेरोजगारी, बीमारी और नुकसान का सामना करने वाले संघर्षरत समुदायों का समर्थन करते हुए पर्यावरणीय परिवर्तन की चुनौती को पूरा करने के लिए क्या किया जा सकता है? इस पहल के एक भाग के रूप में, अहमदाबाद विश्वविद्यालय 7 अप्रैल, 2021 को भारत में ‘कम्युनिकेटिंग क्लाइमेट अर्जेसी : हाउ टू गेट आवर मैसेजिंग राइट’ विषय पर एक सार्वजनिक संवाद की मेजबानी करेगा। इसके लिए इंटनेट के जरिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।
यह जलवायु परिवर्तन की चुनौती को पूरा करने में मदद करने के लिए महत्वाकांक्षी लेकिन व्यवहारिक क्षेत्रीय और स्थानीय समाधानों पर केंद्रित अप्रैल की शुरुआत में विश्व भर में होने वाले 125 समान इवेंट्स में से एक होगा।
यह घटना न्यूयॉर्क में बार्ड कॉलेज के सहयोग से सॉल्व क्लाइमेट बाय 2030 नामक वैश्विक परियोजना का एक हिस्सा है। दुनिया भर में ऑस्ट्रेलिया से लेकर किर्गिस्तान, कोलंबिया से लेकर मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका से लेकर हंगरी तक, दर्शकों को स्थानीय जलवायु विशेषज्ञों की ओर से ऐसे कदमों के बारे में सुनने को मिलेगा, जो वास्तव में न केवल राष्ट्र को जलवायु परिवर्तन को सुलझाने में मदद कर सकते हैं, बल्कि जरूरी नौकरियां और आय भी पैदा कर सकते हैं।
अहमदाबाद विश्वविद्यालय भारत का एकमात्र संस्थान है, जिसे इस वैश्विक पहल का हिस्सा बनने के लिए चुना गया है।
अहमदाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पंकज चंद्रा ने इस आयोजन से पहले एक बयान में कहा, “हम ²ढ़ता से मानते हैं कि स्थिरता मानव अस्तित्व के लिए केंद्रीय है। अहमदाबाद के लिए जलवायु परिवर्तन अकादमिक-कार्रवाई के प्रयास का एक गंभीर क्षेत्र है और हम इसकी सभी अभिव्यक्तियों के साथ जुड़े हुए हैं।”
गुजरात के अहमदाबाद शहर के केंद्र में स्थित, अहमदाबाद विश्वविद्यालय एक अनुसंधान केंद्र का निर्माण कर रहा है, जिसका उद्देश्य उदारीकरण के साथ बेहतर शिक्षा मुहैया कराना है। यह वैश्विक अकादमी में एक ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसे कला, विज्ञान और व्यवसायों के बीच एक पुल के रूप में कार्य करने के लिए जाना जाता है। यहां बेहतरीन पर्यावरण के साथ अंत:विषय पाठ्यक्रम, अनुभवात्मक अधिगम पर्यावरण और अनुसंधान की अपार संभावनाएं मिलती हैं।
7 अप्रैल को वेबिनार में बेंगलुरू से एक ग्रेड 10 के छात्र भुवन वेंकटेश, प्रथम बुक्स के वरिष्ठ संपादक और लेखक बिजल वचरजानी और अहमदाबाद विश्वविद्यालय में 2022 कक्षा के एमबीए छात्र राज शाह इस अंत: विषय संवाद में भाग लेंगे।
बार्ड कॉलेज में सॉल्व जलवायु परियोजना के निदेशक और अर्थशाी डॉ. इबन गुडस्टीन ने कॉलेज, विश्वविद्यालय और हाई स्कूल स्तर पर जलवायु-संबंधित शिक्षकों से अहमदाबाद विश्वविद्यालय के वेबिनार को होमवर्क के तौर पर प्रस्तुत करने का आग्रह किया है, चाहे यह लाइव हो या फिर इसे रिकॉर्ड करके प्रस्तुत किया जाए।
गुडस्टीन ने कहा, “अहमदाबाद विश्वविद्यालय जलवायु समाधान के लिए शिक्षा पर वैश्विक विश्वविद्यालयों के बीच नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है। इस इवेंट के लिए वे जिन विशेषज्ञों को साथ लाए हैं, उनके पास एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हम जलवायु को स्थिर करने के लिए अब क्या कर सकते हैं और हमें आखिर इस दिशा में क्या करना चाहिए।”
अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के ग्लोबल सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी में वरिष्ठ वैज्ञानिक मीनल पाठक 7 अप्रैल के कार्यक्रम को मॉडरेट करेंगी।
इवेंट के बारे में बात करते हुए पाठक ने कहा कि चुनौती को हल करने के लिए अभूतपूर्व और तेज कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस इवेंट के माध्यम से हम यह जान पाएंगे कि व्यापक जनता विशेष रूप से युवा दर्शकों के लिए अपने संदेश को हम कैसे बेहतर बना सकते हैं।
सॉल्व द क्लाइमेट मूवमेंट 7 अप्रैल, 2021 को दुनिया भर के 100 से अधिक विश्वविद्यालयों में लॉन्च होना है।
पाठक ने कहा, “अहमदाबाद विश्वविद्यालय को इस अद्भुत पहल का हिस्सा होने पर गर्व है। हमें इस वैश्विक बातचीत में भाग लेने के लिए भारत से एकमात्र संस्थान होने पर भी गर्व है।”