इजरायल और अमेरिका के शोधार्थिओं के एक दल ने क्षतिग्रस्त तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) की मरम्मत के लिए कृत्रिम कनेक्शन विकसित किया है।
यरूशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी ने यह घोषणा की है। चीन की संवाद समिति शिन्हुआ के मुताबिक दुर्घटना, मस्तिष्काघात या बीमारी के कारण क्षतिग्रस्त हुये तंत्रिका तंत्र से आंखों की रोशनी, चलने फिरने की शक्ति, आवाज, याददाश्त आदि पर प्रभाव पड़ता है।
जर्नल सेल सिस्टम में प्रकाशित शोध अध्ययन के मुताबिक हिब्रू यूनिवर्सिटी और अमेरिका के सिएटल स्थित फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर के शोधार्थियों ने यह साबित किया है कि क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को जेनेटिक तरीके (बायोलॉजिकल इम्प्लांटेशन ऑफ आर्टिफिशियल कनेक्शंस यानी सिनैप्स) से दोबारा ठीक किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने सफलतापूर्वक उन कीड़ों पर यह प्रक्रिया अपनायी ,जिनका नर्वस सिस्टम क्षतिग्रस्त था। उन्होंने कृत्रिम सिनैप्स डालकर यह काम किया। ये सिनैप्स जिनेटिक रूप से न्यूरॉन में मौजूद सिनैप्टिक प्रोटीन पर आधारित थे।
इस प्रकार शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सिनैप्टिकि बाईपास बनाया, जो कीड़ों के न्यूरल नेटवर्क में सूचनाओं के अदान-प्रदान को बहाल करता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि जिन कीड़ों के नर्वस सिस्टम की मरम्मत की गयी, उनकी कार्यक्षमता सामान्य स्वस्थ कीड़ों से अधिक थी। यह कृत्रिम सिनैप्स से प्राप्त कमजोर सिग्नल को बढ़ाये जाने के कारण संभव हुआ।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इस नवोन्मेषी तरीके से किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के बगैर इंसानों का भी उपचार किया जा सकता है।