बीते रविवार 8 मई को बीपीएससी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के बाद से बिहार लोकसेवा आयोग ने इस परीक्षा को रद्द कर दिया था. इसके बाद से आयोग और राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर है.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कहा है कि बीपीएससी एवं सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं बार-बार रद्द होने, पेपर लीक होने और रिज़ल्ट लेट होने की वजह से छात्र-छात्राओं का जितना समय ख़राब होता है, उतना समय उन्हें अतिरिक्त मिलना चाहिए.
उन्होंने ये भी कहा है कि दूरदराज़ इलाकों से आने वाले छात्रों को पांच हज़ार रुपये का मुआवज़ा दिया जाना चाहिए.
इससे पहले उन्होंने ट्वीट करके लिखा था कि “बिहार के करोड़ों युवाओं और अभ्यर्थियों का जीवन बर्बाद करने वाले बिहार लोक सेवा आयोग का नाम बदलकर अब “बिहार लोक पेपर लीक आयोग” कर देना चाहिए.”
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “हमने मामले में त्वरित कार्रवाई की. हम जांच कर रहे हैं कि पेपर कहां से और कैसे लीक हुआ. जांच शुरू हो चुकी है. पुलिस जांच कर रही है. मैंने उनसे कहा है कि जल्द से जल्द जांच की जाए. इस मामले में जो भी संलिप्त पाया जाएगा उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.”
अगले तीन महीने के अंदर परीक्षा
बिहार लोकसेवा आयोग के सचिव जीउत सिंह ने बीबीसी के साथ बातचीत में बताया है कि अगले तीन महीने के अंदर परीक्षा आयोजित की जा सकती है.
उन्होंने कहा, “इस मामले की जांच सायबर सेल कर रही है, जैसे ही उसकी रिपोर्ट आ जाती है, उससे हमें पता चलेगा कि हमारी ग़लती कहां हुई, और उन ग़लतियों को सुधारते हुए हम जल्द ही परीक्षा आयोजित करेंगे.”
जब बीपीएससी के सचिव से पूछा गया कि कितनी जल्द-से-जल्द परीक्षा आयोजित की जा सकती है तो उन्होंने कहा कि अगले तीन महीने के अंदर परीक्षा आयोजित की जा सकती है.
जांच में अब तक क्या हुआ?
बिहार सरकार की आर्थिक एवं सायबर अपराध शाखा ने इस मामले में जांच करते हुए आरा ज़िले के कुंवर सिंह महाविद्यालय से जुड़े चार अधिकारियों को गिरफ़्तार किया है.
आर्थिक एवं सायबर अपराध शाखा के एडीजी नैयर हसनैन ख़ान ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा है कि इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है और कुछ अन्य लोगों की तलाश जारी है.
नैयर हसनैन ख़ान कहते हैं, “इस मामले की जांच आर्थिक एवं सायबर अपराध इकाई की एक विशेष टीम कर रही है जिसने अब तक चार लोगों को गिरफ़्तार किया है. ये लोग आरा के कुंवर सिंह कॉलेज परीक्षा केंद्र से जुड़े हुए हैं. इनमें बरहरा के बीडीओ जयवर्धन गुप्ता जो कि डेप्यूटेड मजिस्ट्रेट थे, कॉलेज के प्रिंसिपल योगेंद्र प्रसाद सिंह (परीक्षा केंद्र के सेंटर सुपरिटेंडेंट), सुशील कुमार सिंह (लेक्चरर एवं सह-कंट्रोलर) और अगम कुमार सहाय (परीक्षा केंद्र के असिस्टेंट सेंटर-सुपरिटेंडेंट) शामिल हैं.”
नियमों का उल्लंघन
पेपर लीक होने की ख़बर आने के बाद से आरा के इस परीक्षा केंद्र पर नियमों के उल्लंघन की बात की जा रही है.
इस मामले की जांच कर रही विशेष टीम ने शुरुआती जांच में पाया है कि कुंवर सिंह कॉलेज परीक्षा केंद्र में नियमों की अवहेलना की गयी है.
नैयर हसनैन ख़ान कहते हैं, “हमने जिन लोगों को गिरफ़्तार किया है, उनके बयान संदिग्ध पाए गए हैं. इसमें ये पाया गया है कि बिहार लोकसेवा आयोग के सभी नियमों का उल्लंघन किया गया है. ये भी एक तथ्य है कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें छात्रों की तस्वीरें हैं, परीक्षा केंद्रों में घुसकर लोगों ने पेपर छीने हैं, और उन्हें मोबाइल फोन कैमरे से खींचकर वायरल किया है, ये सब आरा के कुंवर सिंह कॉलेज से हुआ है.”
कुछ ख़बरों के मुताबिक़, आरा के इसी कुंवर सिंह कॉलेज में कुछ छात्रों को अलग कमरों में बिठाया गया था.
इस पर ख़ान कहते हैं, “ये मामला भी जांच के दायरे में है. अब तक हमें लग रहा है कि पेपर लीक होने का मामला लगभग सवा ग्यारह बजे शुरू हुआ है. और जांच में सामने आया है कि आरा के इस परीक्षा केंद्र से सीसीटीवी कैमरे की फुटेज़ नहीं मिल सकी है क्योंकि सीसीटीवी कैमरा ख़राब था. इस पूरे कॉलेज से हमें कोई सीसीटीवी फुटेज़ नहीं मिली है. ये सुनिश्चित करना ज़िला प्रशासन का काम था क्योंकि परीक्षा कराने की ज़िम्मेदारी ज़िला प्रशासन की ही होती है.”
इसके साथ ही पुलिस इस मामले में सोशल मीडिया अकांट्स की जांच कर रही है.
ख़ान बताते हैं, “हम बैक-ट्रेसिंग करने की प्रोसेस में हैं. हम ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि सबसे पहले ये सामग्री किसने जारी की. इसमें कई लोगों से पूछताछ की जा चुकी है. कुछ लोगों की तलाश की जा रही है. हमें दो – चार लोगों पर संदेह है कि इसमें उनकी भूमिका हो सकती है.”
इस मामले में आईपीसी की धारा 420, 467स 468, 120(बी), आईटी एक्ट की 66 और बिहार परीक्षा नियंत्रण अधिनियम – 1981 की 3/10 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
(BBC).