कोविड वायरस से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। संघ के हिसाब से बने अवध प्रांत में आने वाले 15 जिलों में अभाविप के कार्यकर्ताओं ने मैदान संभाल रखा है।
लॉकडाउन से प्रभावित हुए लोगों की सहयता और जागरूकता पहुंचाने में परिषद कार्यकर्ता लगातार सेवा कार्य में जुटे हैं। इस आपदा से निपटने के लिए अवध प्रान्त के सभी जिलों में हेल्प लाइन नम्बर जारी किये गये हैं।
अभाविप अवध प्रान्त के प्रांत मंत्री अंकित शुक्ल ने बताया कि, कोरोना से बचाव के लिए हमारे कार्यकर्ता आस-पास के क्षेत्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोगों की मदद कर रहे हैं। बचाव के लिए मास्क और सैनिटाइजर, भोजन का वितरण कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि, परिषद कार्यकर्ता कई स्थानों पर जरूरत मंदों को प्रशासन के साथ मिलकर राशन और भोजन भी पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। बाहर के रहने वाले छात्रों की भी चिंता की जा रही है। उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो। विद्यार्थियों की शैक्षिक ज्ञान विस्तार की ²ष्टि से विभिन्न ऑनलाईन प्रतियोगिता और पढ़ाई का क्रम भी लगातार चल रहा है।
शुक्ला ने बताया कि मेडिवीजन द्वारा चिकित्सीय परामर्श हेतु विशेषज्ञ चिकित्सकों की हेल्पलाइन भी जारी की गई है, जिससे जनसामान्य को सामान्य परेशानियों में परामर्श हेतु अस्पताल न जाना पड़े। लखनऊ महानगर द्वारा सूचना पर भोजन वितरण व स्लोगन राइटिंग तथा महाकाव्यों पर आधारित क्विज प्रतियोगिता का आयोजन तथा सात दिवसीय वर्कआउट विद एबीवीपी व महžवपूर्ण शैक्षिक विषयों पर फेसबुक लाइव के जरिये सत्र भी चल रहे हैं।
इसी प्रकार अयोध्या, बाराबंकी में भी सेवा कार्य किया जा रहा है। अयोध्या महानगर द्वारा गत सात दिनों से जरूरतमंद छात्रों व जनसामान्य को भोजन पैकेट का प्रतिदिन वितरण जारी है। अम्बेडकरनगर के अकबरपुर, जलालपुर में भी राशन किट, भोजन पैकेट का वितरण किया जा रहा है। हरदोई, पिहानी व शाहाबाद सीतापुर के हरगांव मिश्रिख लखीमपुर गोंडा, बलरामपुर के गैसड़ी, बहराइच के मिहीपुरवा श्रावस्ती के सेमगढ़ा रायबरेली में भी सभी कार्यकर्ता सेवा कार्य में लगे है।
अभाविप अवध प्रान्त के प्रांत मंत्री अंकित शुक्ल ने कहा कि विद्यार्थियों की प्रवेश, परीक्षा और परिणाम की जो समस्या खड़ी हुयी हैं उसको लेकर अभाविप विशेष योजना बनाकर निस्तारण करवाने के लिए सम्बंधित विश्वविद्यालय, संस्थान और सरकार के सामने विषय उठाकर समाधान का प्रयास करेगी।