दुनिया के साथ-साथ भारत में भी कोरोनावायरस का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 180 से ज्यादा देशों में फैल चुका यह वायरस अब तक एक लाख से ज्यादा जानें ले चुका है। दुनियाभर में 17 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं। सोमवार सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछले 24 घंटे में 35 लोगों की मौत हुई है। वहीं, कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 9152 हो गई है। इनमें 7987 सक्रिय हैं, 856 स्वस्थ हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और 308 लोगों की मौत हो गई है।
वहीं भारत में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बीती रात अमेरिका से 9 हजार जीन एक्सपर्ट मशीन आ गई हैं। ये मशीनें टीबी के मरीजों के नमूने लेने में काम आती हैं। बता दें कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने दो दिन पहले ही टीबी की जांच में इस्तेमाल होने वाली इन मशीनों का इस्तेमाल Covid 19 की जांच को मंजूरी दी है।
बताया जा रहा है कि भारत ने ऐसी एक लाख मशीनों का ऑर्डर अमेरिका की एक कंपनी को दिया है। अमेरिकी कंपनी का दावा है कि ये मशीन एक बार में 4 संदिग्ध रोगियों के नमूनों का परीक्षण कर सकती है। यह एक दूसरी तरह का रैपिड परीक्षण है जिससे 1 घंटे में परिणाम देखे जा सकते हैं।
आईसीएमआर ने इस जांच में कुछ दिशानिर्देश भी तय किए हैं। भारत में इन मशीनों का इस्तेमाल टीबी से ग्रसित मरीजों के लिए किया जाता है, जिनकी मदद से दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। ट्रूनैटटीएम बीटा सीओवी जांच को मंजूरी देते हुए आईसीएमआर ने कहा कि अब इस जांच का इस्तेमाल कोरोना से संक्रमित मरीजों के लिए भी किया जा सकता है।
बता दें कि आईसीएमआर ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा कि इन जांच के दौरान नाक और गले से सैंपल लेकर इसे किट के साथ दिए गए वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम में रखकर भेज जाएगा। इस जांच में जो भी मरीज कोरोना संक्रमित पाए जाएंगे उन्हें आरटी-पीसीआर द्वारा जांच कर कोरोना की पुष्टि की जाएगी। बता दें कि इन दोनों ही तकनीक का इस्तेमाल टीबी के मरीजों की जांच के लिए किया जाता है। बताया जाता है कि देश में इस तकनीक की काफी मशीनें उपलब्ध है, जिससे अब कोरोना संक्रमित मरीजों का पता लगाना आसान हो जाएगा।