जाजरौला पुलिस स्टेशन के तहत जरी गांव में अज्ञात लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। 3 मई को एक बाघ को वन विभाग की टीम के द्वारा ट्रेंक्वलाइज करने के कुछ मिनट बाद ही गंभीर चोटों के साथ मिला और फिर बाघ की मौत के चलते यह मामला दर्ज किया गया है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के माला वन रेंज में गरहा बीट प्रभारी गोपाल सक्सेना के द्वारा लिखित शिकायत के आधार पर शनिवार शाम को एफआईआर दर्ज की गई।
सामाजिक वानिकी प्रभाग के पूरनपुर रेंज अधिकारी ने भी अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ उसी मामले में एक विभागीय मामला दर्ज किया है।
हालांकि, शुरूआत में कहा गया था कि बाघ की मौत ट्रैंक्विलाइजर की अधिकता के कारण हुई। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में वन्यजीव संरक्षण, प्रबंधन और रोग की निगरानी के लिए केंद्र द्वारा शव परीक्षण रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि बाघ की मौत दर्दनाक कारण से हुई थी। उसके वक्ष गुहा में चोटें आईं हैं, जो अत्यधिक आंतरिक रक्तस्राव का कारण बनीं।
शव परीक्षण रिपोर्ट में उसकी गर्दन, कंधे और वक्ष स्किन के नीचे के घावों और रक्तस्राव की भी पुष्टि की गई है, जिसमें मैगॉट्स की सतही उपस्थिति थी। कई अन्य आंतरिक चोटों के अलावा, इसके दिल में भी रक्त के थक्के थे।
पीटीआर के उप निदेशक नवीन खंडेलवाल के अनुसार जानवरों की चोटों की प्रकृति ने संकेत दिया कि उसे बेरहमी से पीटा गया था।
एसएचओ जय प्रकाश सिंह ने कहा कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पांच साल के इस वयस्क बाघ की मौत 15 मिनट बाद ही ट्रैंकुलाइजिंग डार्ट्स से हो गई थी।
इस बीच, समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक हेमराज वर्मा ने चेतावनी दी है कि अगर वन विभाग द्वारा निर्दोष ग्रामीणों का उत्पीड़न किया गया तो वह आंदोलन का सहारा लेंगे।