राष्ट्रीय राजधानी के कनॉट प्लेस (राजीव चौक) स्थित देश की आजादी के समय के रेस्तरां में कुछ समय पहले तक बड़ी रौनक रहती थी और यहां खाने-पीने के शौकीन राजनयिकों, राजनेताओं और फिल्मी सितारों का आना-जाना लगा रहता था, मगर अब ये रेस्तरां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
इस चुनौतीपूर्ण समय में यहां के रेस्तरां काफी मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। मगर इसके बावजूद यहां सभी निराश नहीं हैं। यहां स्थित यूनाइटेड कॉफी हाउस (यूसीएच) के मालिक भविष्य के बारे में आशावादी बने हुए हैं।
तीसरी पीढ़ी के उद्यमी आकाश कालरा तीन दशकों से रेस्तरां चला रहे हैं। उन्होंने कहा, हम इस बारे में उदास के बजाए कोविड-19 के बाद के समय को देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को फिर से रेस्तरां में आने को प्रेरित करने के लिए लोगों के मन में एक उमंग पैदा करने की जरूरत है।
यूनाइटेड कॉफी हाउस ने चित्रकार, समाजसेवी, पत्रकार और राजनेताओं से लेकर फिल्मी सितारों तक की एक भीड़ को आकर्षित किया है। यह रेस्तरां (भोजनालय) शहर के बदलते परि²श्य और खाद्य संस्कृति का गवाह रहा है।
कालरा ने कहा, गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह से लेकर उस समय तक के जो भी रहें हों, हर कोई रेस्तरां में आया करता था। मशहूर चित्रकार एम. एफ. हुसैन महीने में कम से कम एक बार तो यहां आते ही थे।
उन्होंने कहा कि उनके रेस्तरां के फिल्मी जगत की मशहूर हस्तियां रहे गुरुदत्त, देव आनंद और राज कपूर भी ग्राहक रहे हैं।
यहां के कीमा समोसा, नर्गिसी कोफ्ता और मटन करी काफी प्रसिद्ध रहे हैं, जिनका स्वाद लेने दूर-दराज से लोग आते रहे।
किसने सोचा होगा कि 78 साल बाद इस तरह के रेस्तरां का एक निर्जन रूप भी दिखाई देगा और जहां खाने के लिए आए लोगों की ऊजार्वान वातार्लाप चलती थी, वहां की स्थिति मौन में बदल जाएगी।
कोविड-19 महामारी का असर क्षेत्र के अन्य रेस्तरां पर भी पड़ा है। कनॉट प्लेस के डी ब्लॉक में स्थित द एंबेसी भी आजादी के समय का विख्यात रेस्तरां है, जो राष्ट्रव्यापीं बंद का खामियाजा भुगत रहा है।
इसकी स्थापना 1948 में दो भागीदारों, पी.एन. मल्होत्रा और जी.के. घई (जो विभाजन के बाद कराची से दिल्ली आए थे) ने की थी। 72 वर्ष पुराने इस रेस्तरां पर भी अब बंद का असर साफ देखने को मिल रहा है।
इस रेस्तरां में राज कपूर, यश चोपड़ा, लॉर्ड माउंटबेटन, अरुण जेटली और शीला दीक्षित जैसी बड़ी फिल्मी व राजनैतिक हस्तियों का आना रहता था। यहां के मटन चॉप्स, द सिगनेचर एंबेसी समोसा, मुगले मुसल्लम और दाल मीट का जायका लोगों के मुंह में पानी ला देता था।
इस रेस्तरां को फिलहाल पी. एन. मल्होत्रा के पोते कुमार सावर मल्होत्रा चलाते हैं। उन्होंने कहा, हमारे रेस्तरां के अलावा शहर में यूनाइटेड कॉफी हाउस, क्वॉलिटी और होस्ट जैसे तीन अन्य पुराने रेस्तरां हैं। वे दिल्ली के पर्याय हैं और इन्हें इस चुनौतीपूर्ण समय में सरकार द्वारा समर्थन दिया जाना चाहिए।
मल्होत्रा ने उद्योग के लिए तत्काल राहत और पुनरुद्धार के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।