पिछले कुछ महीनों में दुनिया की तस्वीर बदल गयी है। क्योंकि अधिकांश देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं और विभिन्न देशों में लॉकडाउन जारी है, इसका असर व्यापक रूप से इकॉनमी पर पड़ रहा है। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने की आवश्यकता है। साथ ही वायरस से निपटने के लिए अहम उपाय भी किए जा रहे हैं। इसमें वैक्सीन तैयार करने के लिए प्रयास जारी हैं।
गौरतलब है कि वायरस के खात्मे के लिए चीन, ब्रिटेन व भारत सहित कई देशों के वैज्ञानिक पूरी मेहनत से जुटे हैं। उनका ध्यान सिर्फ इस बात पर लगा है कि कैसे जल्द से जल्द वैक्सीन बनायी जाय और समूचे विश्व को वायरस से निजात मिले। आज के दौर में वैश्विक स्तर पर सहयोग किए बिना इस तरह की मुश्किल चुनौतियों से पार नहीं पाया जा सकता है।
जैसा कि हम जानते हैं कि चीन ने इस महामारी से लड़ने में मजबूत इच्छा शक्ति दिखाई है। अब वह जरूरतमंद देशों को मदद करने में लगा हुआ है। अफ्रीका हो, एशिया या फिर यूरोप, चीन इस वायरस के मुकाबले में हरसंभव योगदान दे रहा है। हालांकि विश्व की सबसे बड़ी शक्ति अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ को फंडिंग देना बंद कर दिया है। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से संबंध तोड़ने की धमकी दी है। वहीं दूसरी ओर चीन ने तत्काल 30 मिलियन डॉलर की राशि इस वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी को देने का ऐलान किया। अन्य रूपों में भी चीन सहायता कर रहा है।
हाल में संपन्न चीन के दो सत्रों में भी चीन ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करने का वचन दिया। चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग के शब्दों में, वायरस को खत्म करने के लिए चीन इंटरनेशनल सहयोग करने के लिए तैयार है।
चीन बार-बार कहता रहा है कि विभिन्न देश टीके, प्रभावी दवाओं और न्यूक्लिक एसिड टेस्ट के रिसर्च का काम कर रहे हैं। और वह इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहता है। चीन का यह भी मानना है कि पूरा विश्व इस समय महामारी को रोकने और आर्थिक व सामाजिक विकास बहाल करने की बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में सभी देशों को मिल-जुलकर प्रयास करना होगा।
(अनिल आजाद पांडेय, साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)।