विभिन्न विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं के आयोजन के लिए यूजीसी एक बार फिर अपने दिशा-निर्देशों में बदलाव करेगा। इससे पहले, इसी साल अप्रैल में यूजीसी ने इस संबंध में दिशा-निर्देश संशोधित किए थे। इस विषय पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा, “मैंने यूजीसी को सलाह दी है कि वह इंटरमीडिएट और सेमेस्टर परीक्षाओं समेत अकादमिक कैलेंडर के विषय पर अपने दिशा-निर्देशों पर पुनर्विचार करें। नए दिशा-निर्देश तय करते समय छात्रों की सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।”
यूजीसी ने कोरोना महामारी के बीच कॉलेजों व अन्य परीक्षाएं कराने के दिशा-निर्देश जारी किए थे। बदलते माहौल के मद्देनजर आयोग ने इसमें संशोधन करने का फैसला किया है।
देशभर के कई बड़े शिक्षा संस्थानों ने बढ़ते कोरोना संक्रमण की मौजूदगी में परीक्षा कराने में असमर्थता जताई है। खासतौर पर ऐसे शिक्षण संस्थान जहां छात्रों की संख्या ज्यादा है।
ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन भी विभिन्न राज्यों में कोविड-19 के वर्तमान हालात को देखते हुए यूजीसी द्वारा किए जा रहे इन बदलावों के पक्ष में है।
यूजीसी के इस निर्णय में एआईसीटीई, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, आर्किटेक्चर काउंसिल, फार्मेसी काउंसिल समेत देश की अन्य शीर्ष शैक्षणिक संस्थाएं भी शामिल होंगी। सभी मिलकर देश के हालात की समीक्षा करेंगे और परीक्षाओं के लिए नए दिशा-निर्देश तैयार करेंगे।
यूजीसी ने यह फैसला देशभर के संस्थानों द्वारा परीक्षा आयोजित करने में असमर्थता व्यक्त करने के बाद लिया है। दरअसल, कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अभी भी देश के कई हिस्सों में छात्र अपने-अपने कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी पहुंच पाने में असमर्थ हैं।
छात्रों के विभिन्न संगठनों ने यूजीसी एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अपनी इस स्थिति से अवगत कराया है, जिसको देखते हुए अब विश्वविद्यालयों की परीक्षा के लिए नया कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है।
महाराष्ट्र, ओडिशा और हरियाणा जैसे कई राज्यों ने कोरोनो वायरस के मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर अपनी अंतिम वर्ष की विश्वविद्यालय परीक्षाओं को पहले ही स्थगित कर दिया है।