पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गुरुवार को कहा कि देश के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना सीमाओं की रक्षा करना।
उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक और बाहरी सेहत समान रूप से महत्वपूर्ण और एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
बादल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून, 1975 को देश में लागू किए गए आपातकाल की 45वीं बरसी पर जारी एक बयान में कहा कि संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष लोकाचार के प्रति समान रूप से दृढ़ प्रतिबद्धता के बगैर लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता निर्थक हो सकती है।
उन्होंने कहा, “धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र की एक पूर्व शर्त है, और लोकतंत्र धर्मनिरपेक्षता की एक पूर्व शर्त है। प्रत्येक आदर्श एक-दूसरे को मजबूत करते हैं।”
बादल को आंतरिक आपातकाल के विरोध का एक प्रमुख आर्किटेक्ट माना जाता है। उन्होंने कहा कि देश का संघीय ढाचा लोकतंत्र की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है।
बादल ने कहा, “लोकतंत्र कोई एकस्तरीय ढाचा नहीं है। यह सार्वभौमिक मताधिकार के जरिए व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर काम करता है, लेकिन राष्ट्रीय और अंतरराज्यीय स्तर पर एक असली संघीय ढाचा ही राष्ट्रीय समृद्धि की हमारी प्रणाली की अर्थपूर्ण कार्यपद्धति और भारत को एक वैश्विक सुपरपॉवर में तब्दील करने की गारंटी है।”
पांच बार के मुख्यमंत्री बादल ने लोगों को, खासतौर से युवाओं को, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को हल्के में लेने के खिलाफ आगाह भी किया।