रेटिंग एजेंसी फिच ने बुधवार को कहा कि भारत का बैंकिंग सेक्टर कोरोनावायरस महामारी से संबंधित व्यवधानों के कारण पूंजी की कमी का सामना कर सकता है। फिच रेटिंग्स के अनुसार, भारतीय बैंकों को कम से कम 15 अरब डॉलर की नई पूंजी की जरूरत पड़ सकती है, ताकि वे एक मध्यम दर्जे के तनाव परिदृश्य के तहत अनुमानित औसत कॉमन इक्वि टी टियर 1 अनुपात के 10 प्रतिशत को पूरा कर सकें।
एजेंसी ने एक बयान में कहा है, “यदि घरेलू अर्थव्यवस्था कोरोनावायरस महामारी से संबंधित व्यवधानों से नहीं उबर पाती है तो ऐसी उच्च संकटपूर्ण स्थिति में पूंजी की जरूरत बढ़कर 58 अरब डॉलर हो सकती है।”
फिच ने कहा है, “सरकारी बैंकों को बल्क में पुनर्पूजीकरण की जरूरत होगी, क्योंकि सरकारी बैंकों में पूंजी क्षरण का जोखिम निजी बैंकों की तुलना में काफी अधिक है।”
फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि अधिकांश पुनर्पूजीकरण की जरूरत वित्त वर्ष 2022 के दौरान होगी, क्योंकि 180 दिनों के एक नियामकीय स्थगन के कारण बुरे ऋण की पहचान करने का काम आगे सरक गया है।