मध्यप्रदेश में भले ही विधानसभा उपचुनाव की तारीखों का अभी ऐलान नहीं हुआ हो, मगर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा जहां विकास की नई इबारत लिखने का संदेश देने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस मंथन के दौर से गुजर रही है।
राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार कांग्रेस में हुई टूट के चलते बनी है। तत्कालीन 22 विधायकों ने पार्टी छोड़ने के साथ विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, वहीं दो विधायकों के निधन के कारण दो सीटें रिक्त हैं। कुल मिलाकर 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं।
ये उपचुनाव राज्य की राजनीति के हिसाब से काफी अहम हैं, क्योंकि भाजपा के पास वर्तमान में पूर्ण बहुमत नहीं है और उसे बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम नौ स्थानों पर जीत हासिल करना जरूरी है। राज्य में विधानसभा की 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में भाजपा के पास 107 हैं। पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायकों का होना अनिवार्य है। इसलिए बहुमत हासिल करने के लिए भाजपा की नौ सीटों पर जीत जरूरी है।
भाजपा ने उपचुनाव के लिए दो मोर्चो पर बड़ी तैयारी शुरू की है। एक तरफ जहां वह कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए वर्चुअल रैलियां कर रही है तो दूसरी ओर अनेक विकास परियोजनाओं को अमल में लाने के प्रयास कर रही है। ग्वालियर-चंबल इलाके में चंबल प्रोग्रेस-वे को अंतिम रूप दिया जा चुका है, इस क्षेत्र के 16 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं, इसलिए भाजपा इस परियोजना से चंबल क्षेत्र में विकास के द्वार खुलने की संभावना का संदेश देना चाहती है।
इस परियोजना को लेकर केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच वीडियो कन्फ्रेंसिंग भी हो चुकी है।
इसके अलावा भाजपा ने मुरैना या भिंड में सैनिक स्कूल स्थापित करने की भी कवायद तेज कर दी है। मुख्यमंत्री शिवराज इस मसले को लेकर दिल्ली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से भी मिले हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि मुरैना-भिंड वह जिला है, जहां से लगभग हर घर से एक व्यक्ति सेना में है और वे चाहते हैं कि आगामी समय में यहां से अधिकारी भी निकलें और इसके लिए सैनिक स्कूल जरूरी है।
वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने रविवार को ग्वालियर क्षेत्र की वर्चुअल रैली की और इसमें भाजपा की योजना विकास कार्य और वर्ष 2003 से 2018 की अवधि में भाजपा के शासन काल में हुए कार्यो का जिक्र किया। साथ ही कमल नाथ सरकार के काल में क्षेत्र की हुई कथित दुर्गति का भी जिक्र करने से नहीं चूके। शर्मा ने कार्यकर्ताओं से आगामी चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा, क्योंकि भाजपा की सरकार में ही क्षेत्र और प्रदेश का विकास संभव है।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने संभावित उम्मीदवारों पर मंथन तेज कर दिया है। प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक की मौजूदगी में रविवार को पार्टी नेताओं की बैठक भी हुई। इस बैठक में उन उम्मीदवारों पर चर्चा हुई जो चुनाव जीतने में सक्षम हैं। वैसे कांग्रेस ने राष्ट्रीय सचिवों को अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी है। उनकी भी रिपोर्ट तलब की है। कांग्रेस के लिए सक्षम और चुनाव जिताऊ उम्मीदवार का चयन बड़ी चुनौती बना हुआ है।
राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि उपचुनाव दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं। कोई भी दल यह दावा नहीं कर सकता कि उसकी जीत तय है। यही कारण है कि दोनों दल अभी से फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं। कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि दोनों दलों ने कार्यकर्ताओं से संवाद करने के साथ उन्हें उत्साहित करने का अभियान तेज कर दिया है।