केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने गुरुवार को कहा कि दूध का उत्पादन 18.8 करोड़ टन से बढ़ाकर 2024 तक 33 करोड़ टन करने के साथ-साथ 40 फीसदी दूध को प्रसंस्करण क्षेत्र के अंतर्गत लाने का लक्ष्य है, जोकि इस समय सिर्फ 20-25 फीसदी है। कोरोना काल में मोदी सरकार द्वारा शुरू किए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पशुपालन को प्रोत्साहन देने के लिए 15,000 करोड़ रुपये के पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) का प्रावधान किया गया है। इस निधि को अमल में लाने के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र में अवसंरचना के विकास के लिए डेयरी प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्च र डेवलपमेंट फंड (डीआईडीएफ) लागू किया जा रहा है और निजी क्षेत्र के लिए एएचआईडीएफ, इस प्रकार की पहली योजना है। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा तैयार होने के बाद लाखों किसानों को इससे फायदा होगा, क्योंकि दूध का प्रसंस्करण बढ़ेगा और डेयरी उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा जो कि वर्तमान में नगण्य है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों में, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), एमएसएमई, धारा 8 में शामिल कंपनियां, निजी क्षेत्र की कंपनियां और व्यक्तिगत उद्यमी शामिल होंगे और लाभार्थियों को न्यूनतम 10 फीसदी मार्जिन राशि के अंशदान करना होगा, बाकी 90 फीसदी राशि, अनुसूचित बैंकों द्वारा कर्ज के तौर पर उपलब्ध कराई जाएगी। भारत सरकार पात्र लाभार्थियों को 3 फीसदी ब्याज अनुदान भी देगी और मूल ऋण राशि के लिए दो वर्ष का शुल्क स्थगन और उसके बाद छह वर्ष के लिए पुनर्भुगतान अवधि प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा नाबार्ड के माध्यम से प्रबंधित, 750 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी कोश की स्थापना भी की जाएगी और उन स्वीकृत परियोजनाओं को ऋण गारंटी प्रदान की जाएगी, जो एमएसएमई की परिभाषित सीमा के अंतर्गत आते हैं।
उन्होंने कहा कि इससे निजी क्षेत्र के माध्यम से निवेश के खुलने की अपार संभावनाएं हैं। गिरिराज सिंह ने कहा भारत में डेयरी उत्पादन का करीब 50 से 60 फीसदी अंतिम मूल्य, किसानों को वापस मिल जाता है, इसलिए, इस क्षेत्र में होने वाले विकास से किसान की आय बढ़ने की संभावना है।
इस मौके पर मौजूद केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री, प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा, “सरकार द्वारा 53.5 करोड़ पशुओं का टीकाकरण करने का निर्णय लिया गया है और चार करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।”
उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से नस्ल सुधार का काम किया जा रहा है। हालांकि हम प्रसंस्करण क्षेत्र में बहुत पीछे हैं। एएचआईडीएफ का उपयोग करके, चारा के लिए भी प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं। इससे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।”