तेलुगू अभिनेत्री लक्ष्मी मांचू का कहना है कि मेडिटेशन ने उन्हें खुद को जानने में उनकी मदद की है और साथ ही अपने गुस्से व निराशाओं को भी अपनाना सिखाया है। मेडिटेशन की तरफ वह किस तरह से आकर्षित हुईं? इस पर लक्ष्मी ने आईएएनएस को बताया, “यह एकाएक हुआ। मेडिटेशन से पहले भी आत्म-खोज के बारे में मेरा झुकाव था जैसे कि मैं यहां क्यों हूं, मैं कौन हूं? मैं क्यों पैदा हुई हूं? यह जिंदगी क्या है?
अपने शुरूआती दिनों में मेरे ऐसे ही कई सवाल थे और फिर मैं शायद नौवीं कक्षा में थी जब मुझे क्वॉन्टम फिजिक्स या आत्म-खोज के बारे में अपना पहला पाठ्यक्रम मिला। जब मैं 18 साल की थी, उस वक्त मैंने अपना पहला रियल मेडिटेशन कोर्स किया। मैं इससे जुड़ गई क्योंकि यह आपको अपने भीतर समाए हर उस चीज के बारे में बताता है जिसे जानना जरूरी है।”
इससे उन्हें क्या मदद मिली? इस पर लक्ष्मी कहती हैं, “इसने खुद को समझने में मेरी मदद की, अपने गुस्से, अपनी निराशाओं, उतार-चढ़ावों को अपनाना सिखाया, इनके बारे में जागरूक रहना सिखाया और इसके साथ ही जिंदगी से तालमेल रखना भी सिखाया जिसमें अकसर कई मोड़ आते रहते हैं।”