ब्रिटिश मेडिकल पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित ताजा संपादकीय में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के मुकाबले के लिए सभी देशों के बीच खुले सहयोग की आवश्यकता है। चीन ने मूल रूप से अपने देश में महामारी को नियंत्रित किया है और अन्य देश इस क्षेत्र में चीन के सफल अनुभवों से सीख सकते हैं।
लेख में कहा गया है कि चीन के महामारी के मुकाबले से एक देश की अनुसंधान व सार्वजनिक स्वास्थ्य की क्षमता के महत्व को दर्शाया गया है। “चीन के महामारी के मुकाबले के अनुभवों से पता चलता है कि प्रयोगशाला और चिकित्सा कर्मचारियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य और अनुसंधान प्रणालियों में निवेश करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह विभिन्न देशों के लिए स्वास्थ्य आपात घटनाओं और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा घटनाओं के तेज और प्रभावी निपटारे का आधार है।”
लेख में कहा गया है कि उदाहरण के लिए कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद चीनी वैज्ञानिकों ने जल्द ही वायरस को पहचाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वायरस के जीनोम अनुक्रमण डेटा को साझा किया। वर्ष 2020 की जनवरी के अंत तक चीनी डॉक्टरों ने कोविड-19 के रोगियों की नैदानिक लक्षण और लोगों के बीच फैलने, जीनोम और महामारी विज्ञान की विशेषताओं को निर्धारित किया और द लांसेट में शोध पत्र प्रकाशित किया।
दुनिया को कोविड-19 के खतरों की चेतावनी दी गयी। कोविड-19 के टीकों के अनुसंधान में भी चीन आगे है और संबंधित परीक्षाओं के परिणाम भी क्रमश: मई और जुलाई के द लैंसेट में प्रकाशित किए गए हैं।
लेख में यह भी कहा गया है कि महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के कदमों के तेज और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए व्यापक सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है। चीन के महामारी के मुकाबले के अनुभवों से सामुदायिक एकता के महत्व और इसके परिणामों को भी दर्शाया गया।