गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के नाम से बन रहे एकीकृत विश्वविद्यालय में आधुनिक, वैज्ञानिक ज्ञान के साथ वैदिक ज्ञान देने की योजना पर भी काम चल रहा है।
यहां आधुनिक स्नातक (बीए) से लेकर वैदिक ज्ञान वेदांत की पढ़ाई भी होगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तो मिलेगी ही, चिकित्सा और शोध को बढ़ावा देने का काम भी होगा। इसमें वैज्ञानिक और वैदिक, दोनों तरह के ज्ञान को शामिल किया जाएगा।
वर्ष 1932 में पिछड़े क्षेत्र पूर्वाचल में ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए तबके गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने एक सपना देखा था। उस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। तबसे अब तक पीठ की तीन पीढ़ियों के प्रयास से परिषद उत्तर भारत का सबसे बड़ा और वैविध्यपूर्ण संस्थान बन चुका है। अब मौजूदा मुख्यमंत्री और परिषद के प्रबंधक/सचिव के प्रयास से गोरखपुर ‘नॉलेज सिटी’ बनने की ओर अग्रसर है। महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के नाम से यहां सोनबरसा रोड स्थित बालापार में एकीकृत विश्वविद्यालय (इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी) तेजी से स्वरूप ले रहा है।
एक ऐसा संस्थान, जिसमें बीए से लेकर वेदांत तक की पढ़ाई होगी। गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज इसका खास आकर्षण होगा। इसमें चिकित्सा की हर पद्धति- एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी की पढ़ाई के साथ जांच, परामर्श और इलाज के अद्यतन सुविधा होगी। वह भी अपेक्षाकृत सस्ते में। डेंटल, फार्मेसी, फिजियोथिरैपी और नर्सिग के सर्टिफिकेट से लेकर डिप्लोमा, डिग्री और पीजी तक के कोर्स उपलब्ध होंगे।
यही नहीं, पूर्वाचल में खेती की महत्ता को देखते हुए एग्रीकल्चर की भी पढ़ाई होगी। इसमें फोकस इस बात पर होगा कि कैसे कृषि विविधीकरण के जरिए किसानों की लागत को कम करते हुए उनकी आय दोगुनी की जाए।
इस एकीकृत विश्वविद्यालय में करीब तीन दर्जन पाठ्यक्रमों– बीएससी नर्सिग, पोस्ट बेसिक नर्सिग, बीएएमएस, एमबीबीएस, बी एवं डी फार्मा, आयुर्वेद और एलोपैथ, पैरामेडिकल कोर्सेज के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्सेज, बीएससी यौगिक साइंस, आईटी के अलावा बीए आर्ट्स, सोशल साइंस, बीएससी मैथ, बायो, कम्प्यूटर, आईटीईपी, बीएड, बीपीएड और शास्त्री आदि की पढ़ाई चरणबद्ध तरीके से शुरू होगी।
पहले चरण में आयुर्वेद, योग एवं नर्सिग, दूसरे में फार्मेसी, पैरामेडिकल, विशिष्ट अध्यययन एवं शोध, तीसरे चरण में एलोपैथिक जांच, परामर्श, इलाज शोध केंद्र की शुरुआत के साथ इन विषयों के यूजी (अंडर ग्रेजुएट), पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) और विशिष्ट पाठ्यक्रमों की शुरुआत होगी। चौथे चरण में उच्च और तकनीकी शिक्षा के विशिष्ट पाठ्यक्रम शुरू होंगे। पांचवें और अंतिम चरण में सुदूर अंचलों में आरोग्य केंद्रों की स्थापना की जाएगी, ताकि वहां के लोगों को स्वास्थ्य की अद्यतन सुविधा मुहैया कराई जा सके।
एमपी शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर यू.पी. सिंह ने बताया कि पूर्वाचल के लोगों को बेहतर शिक्षा और चिकित्सा देना गोरक्षपीठ की प्राथिमकता रही है। परिषद की स्थापना के साथ गोरखपुर विश्विद्यालय की स्थापना में भी पीठ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में करीब 35 साल से महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेदिक औषधालय चल रहा है। गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय पिछले कई वर्षो से पूर्वाचल के लोगों को अद्यतन विधि से इलाज की सुविधा दे रहा है। महायोगी गोरक्षनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे भी यही मकसद है।
सिंह ने कहा कि पूर्वाचल के साथ नेपाल की तराई और उत्तर बिहार के छह करोड़ से अधिक लोग शिक्षा और चिकित्सा के लिए गोरखपुर पर निर्भर हैं। इन सबको इसका लाभ मिलेगा।