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भारत के पास 2021 की शुरुआत में होगा वैक्सीन: बर्नस्टीन रिसर्च

भारत के पास निश्चित रूप से साल 2021 की पहली तिमाही के भीतर अप्रूव्ड (अनुमोदित) वैक्सीन होगा। साथ ही पैमाने के हिसाब से पुणे स्थित दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) अपनी पहली वैक्सीन वितरित करने की स्थिति में होगा। यह जानकारी एक शीर्ष वॉल स्ट्रीट रिसर्च और ब्रोकरेज फर्म, बर्नस्टीन रिसर्च की गुरुवार की रिपोर्ट से मिली है।

आईएएनएस द्वारा समीक्षा की गई बर्नस्टीन की रिपोर्ट का कहना है, वैश्विक रूप से चार उम्मीदवार ऐसे हैं जो वर्तमान साल 2020 के अंत या 2021 की शुरुआत तक वैक्सीन के अप्रूवल के करीब हैं। साझेदारी के माध्यम से भारत के पास दो हैं, पहला एजेड/ऑक्सफोर्ड का वायरल वेक्टर वैक्सीन और नोवावैक्स का प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन के साथ एजेड/ ऑक्सफोर्ड वैक्सीन।

उसमें आगे कहा गया है, “एसआईआई को अपनी मौजूदा क्षमता और योग्यता के आधार पर अप्रूवल के समय, क्षमता और मूल्य निर्धारण के मद्देनजर एक या दोनों पार्टनरशिप वाले वैक्सीन कैंडीडेट्स के व्यवसायीकरणके लिए सबसे अच्छी स्थिति में रखा गया है।”

इन दोनों कैंडीडेट्स के पहले चरण और बाकी चरणों के ट्रायल्स के डेटा ‘सुरक्षा के संदर्भ में और इम्यूनिटि प्रतिक्रिया प्राप्त करने की वैक्सीन की क्षमता’ को लेकर आशाजनक नजर आ रहे हैं।

रिपोर्ट में भारत के ‘वैश्विक क्षमता समीकरण’ को लेकर उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है साथ ही इसके मैन्यूफैक्च रिंग पैमाने को चुनौतियों का सामना नहीं करने की उम्मीद भी जताई गई है।

रिपोर्ट का कहना है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया साल 2021 में 60 करोड़ खुराक और साल 2022 में 100 करोड़ खुराक की आपूर्ति कर सकती है, वहीं गावी द वैक्सीन अलायंस और निम्न और मध्यम आय बाजारों के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता के मद्देनजर भारत में साल 2021 में इन खुराकों में से 40 से 50 करोड़ खुराक उपलब्ध होना चाहिए।

रिपोर्ट का अनुमान है कि सरकारी और निजी बाजार के बीच वैक्सीन की मात्रा 55:45 हो जाएगी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “हमारा मानना है कि इन क्षमताओं तक सरकारी चैनलों की पहुंच पहले होगी, लेकिन साथ ही यह भी विश्वास है कि इसके लिए बड़ा निजी बाजार भी होगा। फंडिंग, मैनपावर और डिलीवरी इन्फ्रास्ट्रक्च र के मामले में सरकार अपने दम पर बोझ उठाने के लिए संघर्ष करेगी और हम उम्मीद करते हैं कि निजी बाजार भी इस ओर कदम उठाएंगे।”

एसआईआई ने घोषणा की है कि गावी हर खुराक के लिए तीन डॉलर का भुगतान करेगा। बर्नस्टीन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमान के तौर पर सरकार के लिए प्रति खुराक खरीद मूल्य तीन डॉलर और उपभोक्ताओं के लिए प्रति खुराक मूल्य छह डॉलर होने की संभावना है।

रिपोर्ट में एसआईआई के अलावा लगभग तीन अन्य भारतीय फार्मा कंपनियों की जानकारी दी गई है, जो अपने स्वयं के वैक्सीन कैंडीडेट्स पर काम कर रही हैं और वे वर्तमान में पहले और दूसरे चरण में हैं। ये कंपनियां जाइडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई हैं।

एसआईआई, भारत बायोटेक, बायोलॉजिकल ई और कुछ छोटी कंपनियों को मिलाकर भारत हर साल विभिन्न वैक्सीन की करीब 230 करोड़ खुराक का उत्पादन करता है।

विश्व स्तर पर एसआईआई अकेले ही 150 करोड़ खुराक की क्षमता वाले वैक्सीन का सबसे बड़ा निर्माता है। वैश्विक स्तर पर हर तीन में से दो बच्चों को एसआईआई द्वारा निर्मित एक वैक्सीन मिलती है।

एसआईआई ने इस अगस्त की शुरुआत में भारत और निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के लिए कोविड-19 वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक तक के निर्माण और वितरण में तेजी लाने के लिए गावी द वैक्सीन अलायंस और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ साझेदारी की।

एसआईआई को इस साझेदारी से मैन्यूफैक्च रिंग क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है, ताकि एक बार जब एक या दोनों वैक्सीन को रेगुलेटरी अप्रूवल मिल जाता है और डब्ल्यूएचओ से प्रीक्वालिफिकेशन प्राप्त हो जाता है तो, भारत और निम्न और मध्यम आय वाले राष्ट्रों को 2021 की पहली छमाही में बड़े पैमाने पर खुराक का वितरण और प्रोडक्शन किया जा सकता है।

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