भारत की 47 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं कोविड-19 महामारी की वजह से अधिक तनाव या चिंता महसूस कर रही हैं। एक नए सर्वेक्षण में गुरुवार को यह बात कही गई है। माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाली लिंक्डइन ने गुरुवार को ‘श्रमबल विश्वास सूचकांक’ (वर्कफोर्स कॉन्फिडेंस इंडेक्स) सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि पांच में से दो यानी महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल के लिए कार्य के घंटों से आगे भी काम करना पड़ रहा है।
यह सर्वे 2,254 पेशेवरों के बीच किया गया है।
वहीं अगर पुरुषों की बात जाए तो 38 प्रतिशत कामकाजी पुरुषों ने कहा कि महामारी की वजह से उन पर दबाव बढ़ा है।
सर्वे में सामने आया है कि अभी तीन में से एक महिला (31 प्रतिशत) पूरे समय बच्चों की देखभाल कर रही हैं। वहीं, सिर्फ पांच में से एक यानी 17 प्रतिशत पुरुष ही पूरे समय बच्चों की देखभाल रहे हैं।
ऑनलाइन पोर्टल ‘जॉब फॉर हर’ की सीईओ नेहा बागरिया ने कहा कि महामारी के दौरान पुरुषों की भागीदारी में वृद्धि देखने को मिली है, लेकिन महिलाएं अभी भी बच्चों की देखभाल में सबसे अधिक समय बिता रही हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि कामकाजी माताओं को बच्चों की देखभाल से ध्यान भंग होने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
सर्वे के अनुसार, पांच में से सिर्फ एक यानी 20 प्रतिशत महिलाएं ही अपने बच्चों की देखभाल के लिए परिवार के सदस्यों या मित्रों पर निर्भर हैं। वहीं पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 32 प्रतिशत है।
करीब 46 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें देर तक काम करने की जरूरत पड़ रही है। वहीं 42 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि बच्चों के घर पर होने की वजह से वे काम पर ध्यान नहीं दे पातीं।
फ्रीलांसर के रूप में काम करने वाले लोगों में से 25 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें आमदनी में बढ़ोतरी की उम्मीद है। वहीं 27 प्रतिशत ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत बचत बढ़ने की उम्मीद है, जबकि 31 प्रतिशत ने कहा कि अगले छह माह के दौरान उन्हें अपने निवेश में वृद्धि की उम्मीद है।