कोरोना वायरस का संक्रमण मजबूत है, लेकिन मृत्यु दर ज्यादा ऊंची नहीं है, इसलिए कोरोना वायरस अभी भी पूरी दुनिया में फैल रहा है। अब दुनिया में कोविड-19 के पुष्ट मामलों की संख्या 3 करोड़ से अधिक हो चुकी है। महामारी फैलने के बाद से रोकथाम के अलावा, टीके का अनुसंधान करना प्राथमिकता है। टीका दुनिया की आशा माना जा रहा है। टीका लगाना महामारी की रोकथाम के लिए सबसे कारगर उपाय है। बहुत देशों के वैज्ञानिक इसमें लगे हुए हैं। चीन ने भी जल्दी से टीके का अनुसंधान शुरू किया। चीनी वैज्ञानिकों ने कम समय में प्रभावी उपचार और दवाओं को चुना, कम समय में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट पूरा किया और दिन-रात रीजेंट की जांच की। अब चीन के टीकों के अनुसंधान में बड़ी प्रगति हासिल हुई है, जिससे महामारी की वजह से छाया हुआ धुंध छंट रही है।
रिपोर्ट के अनुसार अब तक चीन के 11 कोरोना टीकों का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हो चुका है, जिनमें 4 का क्लिनिकल परीक्षण तीसरे चरण में है। चीन की वैक्सीन कंपनियों ने कई देशों के संगठनों के साथ सहयोग समझौता संपन्न किया है। चीनी वैक्सीन का तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण कानून और नियम के अनुसार किया जा रहा है। मध्य-पूर्व क्षेत्रों के 35,000 लोगों ने चार में से एक चीनी टीका लगाया। अब सभी लोगों की स्थिति अच्छी है, प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं आई। एक अन्य टीके का तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्वी एशिया के संबंधित देशों में सुचारु रूप से हो रहा है, स्थिति भी अच्छी है।
कोई शक नहीं कि चीनी वैक्सीन का अनुसंधान दुनिया में पहले स्थान पर है। चीनी वैक्सीन सुरक्षित और कारगर है, इसकी उत्पादन क्षमता की भी श्रेष्ठता है। अनुमान है कि इस साल के अंत तक चीनी टीकों की सालाना उत्पादन क्षमता 61 करोड़ होगी, जबकि वर्ष 2021 में 1 अरब तक जा पहुंचेगी। ये वैक्सीन नैदानिक परीक्षण के अंतिम चरण को पास होकर बाजार में प्रवेश होंगी।
चीन ने वचन दिया है कि चीनी टीके का अनुसंधान पूरा होने और प्रयोग में लाने के बाद इसे वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद बनाया जाएगा, ताकि विकासशील देशों में टीका उपलब्ध कराने में चीन का योगदान किया जा सके। विश्वास है कि दुनिया एकजुट होकर सहयोग करे, तो जरूर महामारी पर जीत हासिल की जा सकेगी।