केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आगाह किया कि आईसीएमआर की सीरो सर्वेक्षण रिपोर्ट से लोगों में आत्मसंतुष्टि का भाव पैदा नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारतीय आबादी अभी सामूहिक रोग प्रतिरोधक शक्ति (हर्ड इम्युनिटी) हासिल करने के करीब नहीं है। उन्होंने यह चेतावनी साप्ताहिक बातचीत संडे संवाद की तीसरी कड़ी में दी। वह पिछले तीन सप्ताह से हर रविवार को अपने सोशल मीडिया फॉलोवर्स के साथ बातचीत करते हैं। उन्होंने लोगों को उस दिन आगाह किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी सामूहिक रोगप्रतिरोधक शक्ति हासिल करने तक किसी भी तरह के प्रयास से बचने की सलाह दी और आशा व्यक्त की कि यह अंतत: लोगों को सुरक्षित रखेगा।
डब्ल्यूएचओ के कोविड-19 तकनीकी लीड मारिया वान ने कहा, “सामूहिक रोग प्रतिरोधक शक्ति या प्राकृतिक जनसंख्या रोग प्रतिरोधक कोई विकल्प नहीं है। आइए अपनी ऊर्जा, ध्यान, कार्यबल, उन चीजों में लगाएं जो वास्तव में काम करे।”
हर्षवर्धन ने कहा कि मई में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा किए गए पहले सीरो-सर्वेक्षण में पता चला है कि नोवल कोरोनावायरस संक्रमण का राष्ट्रव्यापी प्रसार केवल 0.73 प्रतिशत था। उन्होंने आगे कहा, “वहीं जल्द ही जारी किए जाने वाले दूसरे सीरो-सर्वेक्षण के संकेत हैं कि हम किसी भी तरह की सामूहिक रोग प्रतिरोधक शक्ति हासिल करने से बहुत दूर हैं, तब तक यह अत्यंत आवश्यक है कि हम सभी कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करते रहें।”
मंत्री ने कहा कि, सामने आए सबूतों से यह पता चला है कि यह बीमारी न सिर्फ फेफड़ों को प्रभावित करती है बल्कि अन्य अंग प्रणालियों को भी, विशेष रूप से हृदय और किडनी को प्रभावित करती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन पहलुओं पर गौर करने के लिए विशेषज्ञों की समिति का गठन किया है।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड परीक्षणों की कीमतों को कम करने की सलाह दी गई है।
हर्षवर्धन ने कहा, “महामारी के शुरुआती दिनों में जैसा कि किटों को आयात किया गया था, तब इसकी कीमत अधिक होने का संकेत दिया गया था। लेकिन अब, परीक्षण किटों की आपूर्ति भी स्थिर हो गई है, और इन किटों का घरेलू उत्पादन भी शुरू हो गया है।”