कोयला और इस्पात संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को कोयला और लिग्नाइट के उत्पादन के साथ-साथ भारत के विभिन्न कोयला क्षेत्रों में योजना बनाने के मुद्दों पर चर्चा की। यह बैठक सुबह 11.30 बजे संसद परिसर में आयोजित की गई।
21 लोकसभा सदस्यों और 10 राज्यसभा सदस्यों सहित कुल 31-सदस्यीय समिति ने “कोयला और लिग्नाइट के उत्पादन, इस निकालने और पश्चिमी कोलफील्ड्स लिमिटेड एवं सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के प्रदर्शन के विशिष्ट संदर्भ के साथ योजना” पर चर्चा की।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसद राकेश सिंह ने इस साल 13 सितंबर को पुनर्गठित की गई समिति की अध्यक्षता की।
कोल नियंत्रक संगठन ने एक अप्रैल, 2019 से 31 दिसंबर, 2019 के दौरान नौ कोयला या लिग्नाइट खदानों को खोलने और फिर से खोलने की अनुमति दी थी।
वर्षों से कोयले की कुल खपत में लगातार वृद्धि हुई है। कोयले की खपत या वास्तविक आपूर्ति (आयात सहित) 2016-17 में 83.6 करोड़ टन से बढ़कर 2018-19 में 96.8 करोड़ टन हो गई है।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और कोल कंट्रोलर ऑर्गनाइजेशन (सीसीओ) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 के लिए कोयले की मांग का अनुमान 100 करोड़ टन था, जबकि 2019-20 के दिसंबर तक कोयले की वास्तविक आपूर्ति केवल 69.5. करोड़ मीट्रिक टन ही हो सकी।
2019-20 में सीआईएल (अप्रैल-दिसंबर 2019) द्वारा कोयले का उत्पादन 66 करोड़ मीट्रिक टन के वार्षिक लक्ष्य के मुकाबले 38.8 करोड़ मीट्रिक टन रहा। सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) ने इस दौरान 6.7 करोड़ मीट्रिक के वार्षिक लक्ष्य के मुकाबले 2019-20 के दौरान कुल 4.67 करोड़ मीट्रिक टन कोयले का ही उत्पादन किया।