इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिकी की अधिक क्षमता वाले विशेष उत्पादों का चयन कर अगर इन्हें विशेष रियायतें दी जाएं और नीतिगत उपाय किए जाएं तो भारत वर्ष 2025-26 तक इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों के विनिर्माण में 300 अरब डालर का आंकड़ा हासिल कर सकता है । इस अवधि तक उसका निर्यात भी मौजूदा 67 अरब डालर से बढ़कर चार गुना हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा तैयार और इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) द्वारा प्रस्तुत विजन दस्तावेज 2.0 ने इस बात पर जोर दिया है कि ऐसे उत्पाद क्षेत्र में मोबाइल फोन, सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर (आईटी हार्डवेयर), उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, एलईडी लाइटिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक घटक शमिल हैं।
आईसीईए के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में विश्व स्तर पर भारत की शीर्ष रैंकिंग देखने के लिए, हमें अपने घरेलू उद्योगों को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ ²ष्टिकोण को पूरा करने के लिए प्रत्येक उत्पाद क्षेत्र मे बेहतर कदमों तथा सहायक निर्देशों की आवश्यकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग 2015-16 में 37.1 बिलियन डालर से बढ़कर 2020-21 में 67.3 बिलियन डालर हो गया था। हालांकि, कोविड से संबंधित व्यवधानों ने 2020-21 में विकास गति को प्रभावित किया और विनिर्माण उत्पादन में 67.3 बिलियन डॉलर की गिरावट आई।
दस्तावेज के अनुसार केन्द्र सरकार की रणनीति में पूरी तरह से बदलाव आया है जो आयात विकल्प की ²ष्टि से मेक इन इंडिया फॉर द वल्र्ड से भी अधिक है।
इस नए ²ष्टिकोण का उद्देश्य प्रतिस्पर्धात्मकता, व्यापक पैमाने निर्यात पर ध्यान केंद्रित करके भारत के विनिर्माण कौशल को बदलना है।
इसके अलावा, आयात विकल्प के रास्ते पर चलते हुए, भारत का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार अगले 4-5 वर्षों में मौजूदा 65 बिलियन डालर से 150-180 बिलियन डालर तक पहुंचने का अनुमान है।
विजन दस्तावेज 2.0 में कहा गया है कि 300 अरब डालर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 120-140 बिलियन का निर्यात महत्वपूर्ण है। इस लिहाज से यह पांच ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था, एक ट्रिलियन डालर डिजिटल अर्थव्यवस्था और एक ट्रिलियन डालर के निर्यात लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
चीन में बढ़ती श्रम लागत, भू-राजनीतिक व्यापार और सुरक्षा वातावरण,तथा कोविड -19 का प्रकोप कई वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को वैकल्पिक विनिर्माण स्थलों की तलाश करने और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए मजबूर कर रहा है।
इसमें कहा गया है भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के लिए वैकल्पिक समाधान के प्रमुख दावेदारों में से एक है। इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अगले 3-5 वर्षों में भारत के शीर्ष निर्यात में से एक बनने की क्षमता है। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था ,विदेशी मुद्रा आय और रोजगार सृजन के संदर्भ में में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति (एनपीई) 2019 ने पहले 2025 तक 400 अरब डॉलर का कारोबार हासिल करने का लक्ष्य रखा था।लेकिन कोविड महामारी अपने साथ अप्रत्याशित और अभूतपूर्व चुनौतियां लेकर आई है जिसकी वजह से हर क्षेत्र प्रभवित हुआ है।
मोहिंद्रू ने कहा, यह रिपोर्ट विभिन्न उत्पादों के लिए सभी प्रमुख बिंदुओं और उत्पादन अनुमानों को अपने दायरे में लाती है जो भारत के 300 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण बिजलीघर क्षेत्र में परिवर्तन लाएंगे ।