छत्तीसगढ़ में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम पर बसा शिवरीनारायण। यह धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। मान्यता के अनुसार यह वही स्थान है जहां भगवान राम ने वनवास काल के दौरान शबरी के जूठे बेर खाए थे, इसी स्थान पर रामनवमीं के मौके पर तीन दिवसीय रामधुन गूंजेगी। देश के चार प्रमुख धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम के बाद शिवरीनारायण को पांचवे धाम की संज्ञा दी गई है। यह स्थान भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है, इसलिए छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के रूप में प्रसिद्ध है। यहां प्रभु राम का नारायणी रूप गुप्त रूप से विराजमान है, इसलिए यह गुप्त तीर्थधाम या गुप्त प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है।
चांपा-जांजगीर जिले के शिवरीनारायण रामायण कालीन घटनाओं से जुड़ा है। मान्यता के अनुसार वनवास काल के दौरान यहां प्रभु राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे। रामायण काल की स्मृतियों को संजोने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विकास के लिए कॉन्सेप्ट प्लान बनाया गया है। इस प्लान में शिवरीनारायण में मंदिर परिसर के साथ ही आस-पास के क्षेत्र के विकास और श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए यहां 39 करोड़ रूपए की कार्य योजना तैयार की गई है। प्रथम चरण में छह करोड़ रूपए के विभिन्न कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं, इससे यहां आने वाले लोगों को नई सुविधाएं मिलेंगी।
जनश्रुति के अनुसार प्रभु राम वनवास काल में मांड नदी से चंद्रपुर ओर फिर महानदी मार्ग से शिवरीनारायण पहुंचे थे, छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के भरतपुर तहसील में मवाई नदी से होकर जनकपुर नामक स्थान से लगभग 26 किलोमीटर की दूर पर स्थित सीतामढ़ी-हरचौका नामक स्थान से प्रभु राम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। प्रभु राम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष से अधिक समय छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों पर व्यतीत किया था।
रामनवमी के अवसर पर शिवरीनारायण में रामायण मंडलियों के गायन की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता आठ से 10 अप्रैल तक आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रतियोगिता के समापन समारोह में शामिल होंगे और राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे। प्रतियोगिता के दौरान देश-प्रदेश के प्रतिष्ठित कलाकार भी मानस गायन की प्रस्तुति देंगे।