राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सहायता से कुतुब मीनार के आसपास सूर्य की गतिविधि का एक खगोल भौतिकी विश्लेषण करेगा। अध्ययन से यह निर्धारित होगा कि क्या कुतुब मीनार एक निश्चित कोण पर झुकी हुई है, क्या इसका कोई खगोलीय महत्व है और क्या 21 जून को दोपहर में मीनार की शून्य छाया यानी कोई छाया नहीं होती है। खगोलीय घटना से पहले विष्णु गरुण ध्वज (लौह स्तंभ) पर एक योग कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह अध्ययन 21 जून को पूर्वाह्न् 11 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक जारी रहेगा। इसमें कुछ विशेष उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है और लोगों को इस कार्यक्रम में नजर रखने में सहायता के लिए एक ऐप भी तैयार किया गया है।
राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के अनुरोध पर अध्ययन के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सर्वेक्षकों की एक टीम बनाई गई है, जिसमें भारतीय ताराभौतिकी संस्थान, बेंगलुरु के वैज्ञानिक संचार प्रमुख डॉ. नेरुजू मोहन रामानुजम, आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र यादव और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के राजीव ध्यानी शामिल हैं। वे एक अध्ययन करेंगे और राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय को एक रिपोर्ट सौंपेंगे।
वैज्ञानिक हर 10 मिनट के अंतराल पर छाया की लंबाई की गणना करेंगे, जो पूर्वाह्न् 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक चलेगा। तरुण विजय ने कहा कि इससे न सिर्फ यह पता चलेगा कि क्या दोपहर में शून्य छाया 11 बजकर 30 मिनट की स्थिति बनती है, बल्कि इससे छाया की लंबाई में बढ़ोतरी पर भी नजर रखने में मदद मिलेगी।
कुतुब मीनार के आकार को देखते हुए, इन मापों से इसके झुकाव की गणना करना संभव होगा। झुकाव के कुछ कोणों के लिए, ऐसा अनुमान है कि दोपहर को छाया जमीन पर दिखेगी और कुछ समय के लिये यह मीनार पर दिखेगी। इस उद्देश्य के लिए, जब छाया कुछ समय मीनार पर रहेगी तो इसको मापने के लिए एक उपकरण की मांग की गई है।