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कैबिनेट ने मध्यस्थता, प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक को दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मध्यस्थता विधेयक 2021 और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी।

दोनों विधेयक कल से शुरू होने वाले संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान लाए जाएंगे।

मध्यस्थता विधेयक के तहत व्यक्तियों को किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण में जाने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से विवादों का निपटारा करने की जरूरत होती है।

एक पक्ष दो मध्यस्थता सत्रों के बाद मध्यस्थता से हट सकता है। मध्यस्थता प्रक्रिया 180 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए, जिसे विधेयक में शामिल पक्षों द्वारा बढ़ाया जा सकता है।

 भारतीय मध्यस्थता परिषद की स्थापना की जाएगी। इसके कार्यों में मध्यस्थों को पंजीकृत करना और मध्यस्थता सेवा प्रदाताओं और मध्यस्थता संस्थानों (जो मध्यस्थों को प्रशिक्षित और प्रमाणित करते हैं) को पहचानना शामिल है।

विधेयक उन विवादों को सूचीबद्ध करता है जो मध्यस्थता के लिए उपयुक्त नहीं हैं (जैसे कि आपराधिक मुकदमा चलाने वाले या तीसरे पक्ष के अधिकारों को प्रभावित करने वाले)। केंद्र सरकार इस सूची में संशोधन कर सकती है।

  यदि पक्ष सहमत हों तो वे किसी भी व्यक्ति को मध्यस्थ के रूप में नियुक्त कर सकते हैं। यदि वह ऐसा नहीं करते तो वे अपने मध्यस्थों के पैनल से एक व्यक्ति को नियुक्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

  मध्यस्थता से उत्पन्न समझौते अदालती फैसलों की तरह ही बाध्यकारी और लागू करने योग्य होंगे।

 दिसंबर 2021 यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था। इसे कार्मिक, लोक शिकायतें, कानून और न्याय की स्थायी समिति को भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट 21 जुलाई, 2022 को लोकसभा में रखी गई थी।

राज्यसभा से पारित होने के बाद विधेयक को लोकसभा में विचार और पारित करने के लिए लाया जाएगा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023 को भी मंजूरी दे दी।विधेयक का उद्देश्य पत्रिकाओं के प्रेस पंजीकरण और उससे जुड़े मामलों का प्रावधान करना है।

विधेयक को विचार और पारित करने के लिए लोकसभा में पेश किया जाएगा।

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