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भारत का राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर में कम होकर वित्त वर्ष 25 के लक्ष्य का 29.4 प्रतिशत रहा

भारत का राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर तिमाही में 4.75 लाख करोड़ रुपये रहा। यह चालू वित्त वर्ष के अनुमान का करीब 29.4 प्रतिशत है। यह जानकारी सरकार की ओर से बुधवार को जारी किए गए डेटा से मिली।

आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में शुद्ध टैक्स प्राप्तियां 12.65 लाख करोड़ रुपये रही हैं, जो कि वार्षिक लक्ष्य का 49 प्रतिशत है। पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 11.6 लाख करोड़ था।

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा बुधवार को जारी प्रोविजनल आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान व्यय और राजस्व के बीच का अंतर चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित कुल सीमा 16.85 लाख करोड़ रुपये का 4.75 लाख करोड़ रुपये था।

केंद्र सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 4.9 प्रतिशत रखा गया है। इसका उद्देश्य राजकोषीय समेकन को जारी रखना है।

आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख अदिति नायर के अनुसार, राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में घटकर 4.7 लाख करोड़ रुपये या वित्त वर्ष 2025 के अनुमान का 29 प्रतिशत है, जो अप्रैल-सितंबर वित्त वर्ष 2024 में 7 लाख करोड़ रुपये था। इस वित्त वर्ष की शुरुआत में आरबीआई की ओर से किए गए लाभांश भुगतान के चलते इसमें कमी आई है।

उन्होंने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में शुद्ध कर राजस्व में सालाना आधार पर 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। गैर-कर राजस्व में 51 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है।

इसके अलावा आरबीआई से आने वाले लाभांश से बढ़ोतरी हुई है। वहीं, राजस्व व्यय में मामूली 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पूंजीगत व्यय में 15 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

राजकोषीय घाटे को वर्ष की शुरुआत में केंद्रीय बैंक के लाभांश भुगतान और पूंजीगत व्यय में कमी से समर्थन मिला था। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024 के लिए केंद्र सरकार को लाभांश के रूप में 2.1 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया।

आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर की अवधि में पूंजीगत व्यय 4.14 लाख करोड़ रुपये है, जो कि पूरे साल के लक्ष्य का 37.3 प्रतिशत है। पिछले वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में यह पूरे साल के लक्ष्य का 49 प्रतिशत था।

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