कोरोना काल में शहरों से गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को आजीविका का साधन मुहैया करवाने के लिए मोदी सरकार द्वारा मिशन मोड में चलाए जा रहे गरीब कल्याण रोजगार अभियान (जीकेआरए) के तहत सात सप्ताह में 21 करोड़ मानव दिवस का सृजन हो चुका है। साथ ही, जीकेआरए के कुल बजट का करीब 34 फीसदी खर्च हो चुका है। यह जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने गुरुवार को दी।
मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, गरीब कल्याण रोजगार अभियान के सातवें सप्ताह तक कुल 21 करोड़ मानव दिवस रोजगार उपलब्ध कराया गया है और इस पर अब तक 16,768 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
एक व्यक्ति द्वारा एक कार्य दिवस के दौरान किए गए कार्य को एक मानव दिवस कहा जाता है।
जानकारी के अनुसार, “इस अभियान के उद्देश्यों को पूरा करते हुए 77,974 जल संरक्षण ढांचों, 2.33 लाख ग्रामीण घरों, 17,933 मवेशियों के लिए आवास, 11,372 कृषि तालाबों, और 3,552 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों सहित बड़ी संख्या में संरचनाओं का निर्माण किया गया है।”
इसके अलावा, इस अभियान के दौरान जिला खनिज निधि के माध्यम से 6,300 कार्य किए गए हैं, 764 ग्राम पंचायतों को इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान की गई है, और 25,487 उम्मीदवारों को कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा,राजस्थान और उत्तर प्रदेश में के 116 जिलों में गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को आजीविका के अवसर उपलब्ध कराने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान चलाया जा रहा है।
गरीब कल्याण रोजगार अभियान के लिए केंद्र सरकार ने 50,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है, जिसमें से 16,768 करोड़ रुपये यानी बजट का 33 .53 फीसदी रकम खर्च हो चुकी है।
इस अभियान के तहत बिहार के 32 जिले, उत्तर प्रदेश के 31 जिले, मध्यप्रदेश के 24 जिले, राजस्थान के 22 जिले, ओडिशा के चार और झारखंड के तीन जिलों को शामिल किया गया है।