राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि भारत कभी भी स्वार्थपूर्ण कारणों से किसी के साथ युद्ध में नहीं गया है। उन्होंने आध्यात्मिक गुरुओं से भारतीय संस्कृति में विद्यमान शांति और आध्यात्मिक मूल्यों का दुनियाभर में प्रसार करने का आग्रह किया।
शनिवार को ऋषिकेश में गंगा नदी के किनारे सबसे बड़े आध्यात्मिक केंद्र परमार्थ निकेतन में तपस्वियों, संतों और पुजारियों को संबोधित करते हुए डोभाल ने भारत के आध्यात्मिक इतिहास और स्वामी विवेकानंद के दर्शन की ताकत को याद किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर अपने संबोधन में डोभाल ने बताया, “राज्य भौतिक आयामों से बंधे हुए हैं, लेकिन राष्ट्र एक भावनात्मक बंधन है, जो आध्यात्मिकता और संस्कृति के सामान्य धागे से बंधा है, जिसमें एक सामूहिक भावना है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय गुरुओं और आध्यात्मिक केंद्रों की भूमिका सामूहिक पहचान की इस बड़ी भावना की रक्षा करना है।
केंद्र में मेजबानों द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों का जवाब देते हुए, डोभाल ने कहा कि राष्ट्र केवल इसलिए किसी के साथ युद्ध में नहीं जाता है, क्योंकि समाज के कुछ वर्ग इसकी इच्छा रखते हैं।
उन्होंने कहा, “भारत कभी भी स्वार्थी कारणों से किसी के साथ युद्ध में नहीं गया है। राष्ट्र आस-पास और बाहर दोनों जगहों पर तभी लड़ेगा जब खतरा आसन्न हो। हम अपने स्वार्थी कारणों से युद्ध में नहीं जाएंगे।”
भारत ने पाकिस्तान के साथ 1947, 1965, 1971 तथा 1999 में चार युद्ध लड़े हैं और 1962 में चीन के साथ भी युद्ध हुआ है। किसी भी युद्ध में भारत ने पहले आक्रमण नहीं किया। भारत ने 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे बंगालियों के जनसंहार को रोकने के लिए पाकिस्तान के साथ लड़ाई लड़ी।
हालांकि, मीडिया के एक हिस्से ने डोभाल के बयान को गलत संदर्भ में ले लिया और इसे भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ इस साल जून से जारी गतिरोध से जोड़ा। कुछ समाचार चैनलों ने एनएसए को गलत बताया और दावा किया कि उन्होंने चीन के साथ युद्ध में जाने की धमकी दी है।
एनएसए के कार्यालय ने आईएएनएस से कहा, “डोभाल की टिप्पणी सभ्यता के संदर्भ में की गई है और वर्तमान संदर्भ में यह किसी के खिलाफ निर्देशित नहीं की गई है, जैसा कि कुछ चैनल ऐसा दिखा रहे हैं।”
एनएसए कार्यालय ने कहा कि मीडिया ने उनके संदेश को सही ढंग से पेश नहीं किया है।
डोभाल ने आध्यात्मिक केंद्र में हिंदी में अपनी बात रखी थी, जिसे लेकर कुछ समाचार आउटलेट ने इसका कुछ और ही मतलब निकाल लिया। उनकी टिप्पणियों को सीधे अंग्रेजी में अनुवाद करते हुए गलती कर दी गई।