कोरोना से निपटने के लिए विशेष तौर पर जिले के जिलाधिकारी (डीएम) बनाए गए तेज तर्रार आईएएस सुहास एल. वाई. एक के बाद एक महत्वपूर्ण आदेश जारी कर रहे हैं। 24 घंटे के अंदर ही जारी किए अपने दूसरे आदेश में उन्होंने स्कूल संचालकों/मालिकों को दो टूक चेतावनी दे दी कि, किसी बच्चे/अभिभावक से फीस न मांगें। अगर ऐसा करते पाये गये तो मुकदमा दर्ज कराके एक साल के लिए जेल भेज दिये जाएगा।
नये जिलाधिकारी के इस आदेश ने स्कूल मालिकों के होश उड़ा दिये हैं। दरअसल जिलाधिकारी सुहास एल. वाई ने यह सख्त आदेश यूं ही जारी नहीं कर दिया है। पूर्व डीएम बीएन सिंह के सामने भी अभिभावक इस तरह की समस्या उठाते रहे थे कि, लॉकडाउन और कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी तमाम स्कूल वाले फीस तुरंत जमा करने को कह रहे हैं। जिला प्रशासन सूत्रों के मुताबिक तब, शिकायतों को फाइलों में बंद कर दिया गया था। यह कहकर कि, पहले कोरोना कंट्रोल करें या फिर फीस बचवायें!
उन शिकायतों के साथ साथ कुछ नये मामले भी नवनियुक्त डीएम के संज्ञान में लाये गये। मौजूदा डीएम सुहास को अभिभावकों की परेशानी जायज लगी। जबकि स्कूल संचालक/मालिकों की बेजा मनमानी और हिटलरशाही लगी। माता-पिता बच्चों के भविष्य के मद्देनजर स्कूल वालों से सीधे बिगाड़ने से बचते हैं। क्योंकि सीधे मोर्चा लेने पर स्कूल प्रबंधन बच्चों और अभिभावकों को मानसिक रुप से प्रताड़ित करते हैं।
इन तमाम बातों को मौजूदा डीएम गौतमबुद्ध नगर ने जब चैक करवाया तो वे सही लगीं। लिहाजा अभिभावकों के सामने निकलकर आने से पहले डीएम ने ही जिले के स्कूल संचालकों को आड़े हाथ ले लिया। शनिवार को डीएम सुहास ने एक सख्त आदेश जारी करके बेलगाम स्कूल मालिकों को बता दिया कि, वे इस मुसीबत में भी अगर बाज नहीं आये, तो परिणाम गंभीर होंगे।
रविवार को जिलाधिकारी का यह आदेश आईएएनएस को भी मिल गया।
आदेश में डीएम ने लिखा है कि, कोई भी स्कूल मालिक किसी भी अभिभावक पर फीस देने का जोर-दबाब नहीं डालेगा। अगर ऐसा करते कोई स्कूल मालिक या प्रबंधन पकड़ा गया तो सख्त कार्यवाही के लिए तैयार रहे। सख्त कार्यवाही भी कोई आर्थिक दंड या फिर चेतावनी नोटिस तक सिमट कर नहीं रहेगी।
आदेश के मुताबिक, आरोपी स्कूल मालिकों के खिलाफ थानों में मुकदमे कायम कराये जायेंगे। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार करके कम के कम एक साल के लिए सीधे सीधे जेल भेज दिया जायेगा। अर्थ दंड भी कानून लगेगा। अगर आदेश के उल्लंघन में कहीं लोकक्षति होती मिली तो यह जेल की अवधि बढ़ाकर 2 साल कर दी जायेगी। इस आदेश की प्रतिलिपियां जिले में मौजूद सभी स्कूल मालिकों को भी भिजवा दी गई हैं। ताकि फंसने पर वे यह बहानेबाजी न कर सकें कि उन्हें डीएम के आदेश की जानकारी ही नहीं थी।
जिले के पुलिस कमिश्नर, नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक, सिटी मजिस्ट्रेट, सभी डिप्टी कलेक्टर, जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस), जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, को भी आदेश की कापी भेजी गयी है, ताकि जरुरत पड़ने पर आरोपी के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए इनमें से किसी भी अधिकारी/विभागाध्यक्ष/विभाग के पास कोई बहाना ही बाकी न रहे।
फिलहाल इस आदेश ने जहां पीड़ित माता-पिता को राहत दी है, वहीं बेलगाम स्कूल मालिकों की नींद उड़ा दी है। इतना ही नहीं, सूत्र बताते हैं कि, डीएम ऐसे स्कूल मालिकों पर लगाम कसने के लिए अपने स्तर पर भी पड़ताल करवा रहे हैं,ताकि किसी अभिभावक को इनसे मोर्चा लेना ही न पड़े।