ग्रामीण विकास विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य उपलब्धता में सुधार के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। विभाग मनरेगा के अंतर्गत दिहाड़ी रोजगार के अतिरिक्त, कुशल, अर्द्धकुशल दिहाड़ी मजदूर को पीएनएवाई-ग्रमीण तथा पीएनजीएसवाई के अंतर्गत सड़क निर्माण क्षेत्र में प्रोत्साहन दे रहा है। 2012-13 से ग्रामीण विकास विभाग का बजट दोगुना से अधिक हो गया है। सभी कार्यक्रमों और ग्रामीण संरचना संबंधी 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत बड़े अंतरण में राज्य के योगदान को जोड़ने से कुल उपलब्ध धन 5 वर्षों की तुलना में तिगुना से अधिक हो जाता है। 51 लाख मकान निर्माणाधीन हैं एक लाख किलोमीटर सड़कें निर्माण के विभिन्न चरणों में है और कृषि तथा संबंधित गतिविधियों के लिए मनरेगा के अंतर्गत बड़े स्तर पर दिहाड़ी रोजगार के अधिक अवसर सुनिश्चित हुए हैं।
विभाग दीन दयाल अंत्योदय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएन) के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए बैंक ऋण संपर्क पर बल दे रहा है ताकि उद्यम को बढ़ावा मिले। अभी 47,000 करोड़ रुपये से अधिक का संपर्क है, जिसका इस्तेमाल कस्टम हायरिंग सेंटर, ग्रामीण परिवहन, कृषि तथा संबंधित कार्य पशुपालन, बागवानी, हथकरघा तथा हस्तशिल्प, खुदरा व्यापार आदि जैसे उपयोगी उद्यमों को बढ़ावा में किया जा रहा है। पिछले तीन वर्ष में महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए बैंक संपर्क दोगुने से अधिक हो गया है। डीडीयू-जेकेवाई तथा आरएसईटीआई के माध्यम से स्वरोजगार कार्यक्रम में प्लेसमेंट आधारित दिहाड़ी रोजगार से परिवारों को आजीविका को बढ़ाने में मदद मिल रही है।
मनरेगा मांग आधारित कार्यक्रम है। राज्यों को भारत सरकार द्वारा 40,000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश जैसे सूखा प्रभावित राज्यों के लिए पर्याप्त धन जारी किए गए हैं। सूखे के कारण केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में पहली तिमाही में अधिक धन जारी किए गए हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा पुदुचेरी के श्रमिक बजट में वृद्धि की गई है ताकि दिहाड़ी रोजगार की अतिरिक्त मांग पूरी की जा सके। अब समय से दिहाड़ी जारी करना सुनिश्चित किया जाता है और 85 प्रतिशत मामलों में 15 दिनों के अंदर दिहाड़ी जारी कर दी जाता है।